रेणु की जयंती कार्यक्रम में किया पहलवान की ढोलक का पाठ

पूर्णिया। स्थानीय रजनी चौक स्थित चर्चित साहित्यिक चौपाल चटकधाम में अमर कथा शिल्पी फणीश्वर नाथ रेणु की 100वीं जयंती के अवसर पर एक विशेष गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस गोष्ठी में परंपरागत परिपाटी से अलग हटते हुए माटी के कथाकार फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी 'पहलवान की ढोलक' का पाठ किया गया। फिर देखते ही देखते संपूर्ण परिवेश में अमरकथा शिल्पी रेणु के रोशनाई की सुगंध फैल गई। इस कहानी के मर्म को समझते हुए उपस्थित साहित्यप्रेमियों ने इस बात को महसूस किया कि क्यों आज भी रेणु प्रासंगिक हैं। उनमें ऐसी क्या बात थी जो वह कालजयी हो गए।


गोष्ठी में पठित कहानी अमर कथा शिल्पी ने सन 1944 में लिखी थी। देखा जाय तो रेणु की यह कहानी प्रसंगवश आज भी मौजू है। सियार का ढोल को फाड़ देना और पहलवान की मृत्यु के बाद उसके जांघ से मांस नोच नोच लेना इस बात की ओर संकेत करता है कि समय कोई भी हो धूर्त किस्म के लोग हुनरमंद की मृत्यु के बाद भी उससे फायदा लेना चाहते हैं। गोष्ठी की अध्यक्षता आकाशवाणी के अवकाश प्राप्त निदेशक विजय नन्दन प्रसाद ने की। जबकि कहानी का पाठ वरिष्ठ पत्रकार राजेश शर्मा ने तथा गोष्ठी का संचालन गोविन्द कुमार ने किया। साथ ही इस गोष्ठी में उपस्थित सभी ने बारी-बारी से कथा के मर्म के अनुकूल अपने अपने विचार रखें। इस अवसर पर मुख्य रूप से कथाकार सुरेंद्र शोषण, वरिष्ठ कवि शंकर पूर्वोत्तरी, डॉ. रामनरेश भक्त, संजय सनातन, गिरजानंद मिश्र, कमल किशोर चौधरी, जय कुमार सिंह, साहित्य अनुरागी रामरक्षा चौधरी आदि उपस्थित थे।
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