डिजिटल पेमेंट की जगह नकदी पर ही लोगों को हो रहा भरोसा

सहरसा। जिले में डिजिटल पेमेंट की जगह नगदी कारोबार पर ही लोगों का भरोसा अब भी कायम है। देश में डिजिटल इंडिया का नारा भले लग रहा हो लेकिन कोसी इलाका में आज भी व्यवसायी बैंक जाकर ही रुपये का लेनदेन करते हैं। बाजार में ही शत प्रतिशत नगद का ही कारोबार चलता है। हालांकि अब तो विशेषकर बड़े- बड़े दुकानों में तो आन लाइन डिजिटल पेमेंट के लिए स्वैप मशीन विभिन्न बैंको का उपयोग करते हैं। लेकिन अधिकतर पेमेंट कैश में ही होता है। शहर के कपड़ा व्यवसायी पिटू गुप्ता कहते हैं कि बैंक का स्वैप मशीन लगा हुआ है। लेकिन ब्रांडबैंड भगवान की कृपा पर ही रहता है। हर हमेशा इसका लिक फेल रहता है। जिससे स्वैप होने में एक तो ज्यादा समय लगता है। वहीं ग्राहक भी ज्यादा देर होने पर परेशान हो जाते हैं। वहीं घड़ी व्यवसायी ध्रुव कुमार कहते हैं कि गूगल पेमेंट ठीक से हो जाता है। पेटीएम से पेमेंट आने में समस्या नहीं होती है। लेकिन सबसे बड़ी समस्या मशीन की रहती है। मशीन लगाने के बाद बैंक डेढ से दो प्रतिशत रुपये कमीशन के तौर पर काट लेता है। ग्राहक से तो निर्धारित रुपये ही लिया जाता है। ऐसे में बेवजह कमीशन कटने से अपना नुकसान हो जाता है। बैंक द्वारा लिए जा रहे कमीशन राशि व वार्षिक फी को नि:शुल्क कर दिया जाए तो हर दुकान में पेमेंट के लिए यह डिजिटल सुविधा उपलब्ध हो जाएगी। डिजिटल पेमेंट में बैंक हर खर्चे से व्यवसायी को मुक्त कर दें तो यह सुविधा बड़े दुकानदार की बात तो छोडिये चाय-पान दुकानदार भी इसे अपनाने लगेंगे।

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