चलो गांव की ओर:::::कुंती पुत्र भीम के नाम पर पड़ा भीमपुर पंचायत

-महाभारत काल में पांडव द्वारा अज्ञातवास के समय कुंती पुत्र भीम यहां किए थे निवास

-क्षेत्र कभी कोसी की मुख्य धारा हुआ करती थी
-बदलते स्वरूप में कोसी की धारा ने अपना रुख मोड़ लिया और आज भीमपुर के पूर्वी छोर में सुरसर नदी होती है प्रवाहित
------------------------------------------ इतिहास के आइने में पंचायत -पंचायत का नाम-भीमपुर -वर्ष 1989 में थाना बना
-उच्च विद्यालय-01
-मध्य विद्यालय-02
-प्राथमिक विद्यालय-04
-आंगनबाड़ी-13
-वार्ड-14
-आबादी-8500
-पशुशेड-19
-पीएम आवास-285
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फोटो फाइल नंबर-26एसयूपी-3,4,5 संजय कुमार, छातापुर(सुपौल): प्रखंड मुख्यालय से 18 किलोमीटर उत्तर स्थित भीमपुर पंचायत के पूर्वी सीमा पर अररिया जिला की सीमा प्रारंभ होती है। ग्रामीणों की मानें तो कोसी किनारे अवस्थित इस इलाके में दूर-दूर तक सघन जंगल हुआ करता था। कहते हैं महाभारत काल में पांडव द्वारा अज्ञातवास के समय कुंती पुत्र भीम यहां निवास किये थे। भीम के रहने के कारण भीमपुर नाम पड़ा। स्थानीय लोगों के अनुसार यह क्षेत्र कभी कोसी की मुख्य धारा हुआ करती थी। परंतु बदलते स्वरूप में कोसी की धारा ने अपना रुख मोड़ लिया और आज भी वर्तमान में भीमपुर के पूर्वी छोर में सुरसर नदी प्रवाहित है। आजादी के 73 वर्ष उपरांत भी छातापुर प्रखंड के मिड्ल प्वाइंट कहे जाने वाले भीमपुर पंचायत का समुचित विकास नहीं हो पाया है। अशिक्षा, बेरोजगारी व पलायन आज भी इस पंचायत के विभिन्न गांवों की मुख्य समस्या बनी हुई है। पंचायत में बाढ़, पेयजल, स्वास्थ्य, शिक्षा की भी समस्या जस की तस बनी हुई है। 2011 की जनगणना अनुसार पंचायत की कुल आबादी 8500 के आसपास है। 1971 में जीवछपुर पंचायत से अलग होकर यह पंचायत अपने अस्तित्व में आया। इस पंचायत के पूर्वी सीमा होकर बहने वाली सुरसर नदी में प्रत्येक वर्ष आने वाली बाढ़ के कारण हजारों एकड़ फसल के साथ-साथ जिदगियां तबाह हो जाती है। परंतु बाढ़ की विभीषिका को रोकने के लिए नदी पर बांध बांधने अथवा अन्य कोई ठोस इंतजाम नहीं किये जा सके हैं। सुरसर नदी के कटाव के कारण प्रत्येक वर्ष सैकड़ों एकड़ जमीन एवं दर्जनों घर नदी में विलीन हो जाया करती है। वहीं सुरसर नदी के किनारे प्रशासन की मिलीभगत से नित्य दर्जनों ट्रैक्टर चालकों द्वारा अवैध बालू व मिट्टी खनन किये जाने से नदी का प्राकृतिक स्वरूप ही खतरे में पहुंच चुका है। पंचायत के पास अब तक अपना पंचायत सरकार भवन नहीं है। पंचायत के विभिन्न जगहों पर बने सामुदायिक भवनों की स्थिति जर्जर है या फिर वह अर्ध निर्मित पड़ा है। पंचायत में एक उप स्वास्थ्य केंद्र लगभग 30 वर्ष पूर्व बनाया गया था जो वर्तमान स्थिति में जर्जर हालत में है। यातायात के लिए यहां पर पंचायत के बीचो-बीच राष्ट्रीय राजमार्ग 57 एवं स्टेट हाईवे 92 गुजरती है। परंतु स्थानीय लोगों का कहना है कि भीमपुर थाना के निकट राष्ट्रीय राजमार्ग पर फ्लाईओवर नहीं रहने के कारण आए दिन भीषण दुर्घटनाएं होती रहती है। हाइवे निर्माण के बाद से अबतक सैकड़ों लोगों की मृत्यु यहां सड़क दुर्घटना में हुई है। सरकारी योजनाओं की बात की जाए तो पंचायत के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में अपेक्षाकृत बहुत कम काम हुआ है। पंचायत के बीचोंबीच होकर कोसी उपशाखा नहर गुजरती है। परंतु अधिकांश जगहों पर छोटी वितरणी नहर पर कुछ जमींदारों द्वारा अतिक्रमण कर लिए जाने के कारण किसान के खेतों तक पानी नहीं पहुंच पा रही है। वहीं नल जल योजना की बात की जाए तो पंचायत में अब तक किसी भी वार्ड में नल जल योजना के अंतर्गत पानी की सुविधा बहाल नहीं हो हो सकी है। विभिन्न जगहों पर कार्य प्रगति में है। पंचायत में सभी वर्गों के लोग रहते हैं, परंतु आजादी के वर्षों बाद भी यहां अशिक्षा बेरोजगारी और पलायन प्रमुख समस्या बनी हुई है। पंचायत के शत प्रतिशत लोगों को अब तक शौचालय की राशि नहीं मिल पाई है। वहीं प्रधानमंत्री आवास योजना व मनरेगा के कार्यों के निष्पादन में भी व्यापक लूट खसोट मची है। मुख्यमंत्री गली-नली योजना के तहत विभिन्न वार्डों में कराए गए कार्यों में भारी अनियमितता बरती गई है। स्थानीय लोग बताते हैं कि लगभग 60 फ़ीसद से अधिक युवा या फिर अधेड़ रोजगार की तलाश में दूसरे शहर में मजदूरी करने को विवश हैं। वहीं पंचायत के विभिन्न जगहों पर 2008 में आई प्रलयंकारी बाढ़ के निशान अब भी देखने को मिलते हैं। अभी भी पंचायत में सैकड़ों एकड़ जमीन पर मोटी रेत की परत बिछी हुई है जिसके कारण 2008 के बाद यहां पर खेती प्रभावित हुई है। गांव में स्थित विभिन्न आंगनबाड़ी केंद्र एवं सरकारी स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है। अधिकांश जगहों पर चारदीवारी पेयजल, शौचालय की समस्या कई वर्षों से जस की तस बनी हुई है। स्थानीय लोगों ने एक प्रमुख मांग पर सवाल उठाते हुए कहा कि पंचायत के बीचो-बीच होकर गुजरने वाली सहरसा फारबिसगंज रेलखंड में पड़ने वाले छातापुर हॉल्ट का नाम बदलकर भीमपुर किया जाए। क्योंकि यहां से छातापुर की दूरी 20 किलोमीटर के आसपास है।
यह पंचायत पूर्वी सीमा पर अररिया जिला से लगती है। पंचायत के पश्चिम लक्ष्मीनियां दक्षिण जीवछपुर एवं उत्तर ठूठी एवं बलुआ पंचायत अवस्थित है।
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पंचायत में स्वास्थ्य सुविधा बदहाल
पंचायत में स्वास्थ्य सुविधा पूरी तरीके से बदहाल है। 1989 में पंचायत के वार्ड 6 में एक उप स्वास्थ्य केंद्र बनाया गया था। जिसका निर्माण पूरा होने के बाद वहां कभी भी स्वास्थ्य सुविधा शुरू नहीं हो पाई। वर्तमान समय में भवन अपने जर्जर हालत में है। लोगों को प्रारंभिक इलाज के लिए भी निकट के नरपतगंज एवं प्रखंड मुख्यालय छातापुर पर निर्भर रहना पड़ता है।
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उच्चतर शिक्षा के लिए विद्यार्थियों की निर्भरता शहर की ओर
शिक्षा के नाम पर पंचायत में प्राथमिक विद्यालय की संख्या 4, मध्य विद्यालय 02 एवं उच्च विद्यालय 01 है। परंतु अधिकांश जगहों पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अभाव है। वहीं ग्रामीणों की माने तो कक्षा 8 के बाद अधिकांश अभिभावक अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा के लिए निकट के फारबिसगंज या फिर पूर्णिया भेज देते हैं।
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1971 में जीवछपुर से अलग होकर बना भीमपुर पंचायत
1971 में पड़ोसी पंचायत जीवछपुर से अलग होकर भीमपुर पंचायत का गठन किया गया। प्रथम मुखिया रामसेवक सिंह बने। 1978 में रामप्रसाद मंडल मुखिया बने और 2000 ई. तक। 2001 में हुए पंचायत चुनाव में यहां से रामसेवक सिंह मुखिया बने। उसके बाद 2006 में यहां से अनिता देवी। 2011 में ललिता देवी बने। 2016 में यह पंचायत अनुसूचित जाति घोषित हुआ। 2016 में वर्तमान मुखिया वीरेंद्र दास।
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चौपाल के दौरान उठे सवाल
पंचायत के बीचोंबीच एक चबूतरे पर लगाए गए चौपाल में जहां कई लोगों ने मुखिया के 5 वर्षों के कार्यों की सराहना की। वहीं लोगों ने मुखिया एवं विभागीय पदाधिकारियों के काम की निदा भी की। लोगों ने कहा कि मुखिया काम करने को लेकर सदैव प्रयासरत रहते हैं। परंतु अन्य जनप्रतिनिधियों एवं सरकारी पदाधिकारियों का रवैया उदासीन रहा है। सरकारी कर्मियों के भ्रष्ट आचरण व उदासीनता की वजह से सरकारी योजनाओं के लाभ के लिए लोगों का शोषण हो रहा है। इस पंचवर्षीय में पंचायत के अंतर्गत विभिन्न जगहों पर पीसीसी सड़क पुल पुलिया का निर्माण सात निश्चय योजना गली-नली योजना में अपेक्षाकृत बेहतर कार्य किया गया। लेकिन अभी भी पंचायत में बेहतर विकास की दरकार है। लोगों ने पंचायत में पंचायत सरकार भवन, सामुदायिक भवन, पंचायत भवन, उप स्वास्थ्य केंद्र की आवश्यकता है। वहीं सभी सरकारी विद्यालयों में चार दिवारी, अधूरे पड़े शौचालय एवं पेयजल की समस्या को दूर किया जाना चाहिए।
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कहते हैं ग्रामीण
फोटो फाइल नंबर-26एसयूपी-6
भीमपुर पंचायत में पिछले 5 वर्षों से सभी सरकारी योजनाओं में आधा-अधूरा काम हुआ है। बेरोजगारी एवं पलायन यहां पर प्रमुख समस्या है। शिक्षा में क्रांतिकारी बदलाव की आवश्यकता है। यह पंचायत अभी भी मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर है।
सुमन कुमार मंडल
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फोटो फाइल नंबर-26एसयूपी-7
भीमपुर पंचायत में स्थित सभी सरकारी विद्यालयों में चारदीवारी की आवश्यकता है। किसी भी आंगनबाड़ी केंद्र के पास अपना भवन नहीं है। सभी सरकारी केंद्रों पर पेयजल एवं शौचालय की आवश्यकता है। समाज में निसहाय एवं गरीबों को प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
लालधर ठाकुर
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फोटो फाइल नंबर-26एसयूपी-8
पंचायत के पूर्वी सीमा से सटकर बहने वाली सुरसर नदी में बांध नहीं होने के कारण प्रत्येक वर्ष सैकड़ों एकड़ भूमि और दर्जनों गांव नदी में समा रहे हैं। जो यहां की प्रमुख समस्याएं है। वहीं कोसी उपशाखा नहर का पानी खेत तक नहीं पहुंच रहे हैं। जिससे किसानों को सिचाई में समस्याएं आ रही है।
इंद्रजीत सिंह --------------------------------------

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