फिल्मों में काम दिलाने के प्रलोभन में तस्करों के चंगुल में जाने से बचीं नेपाल की सातों लड़कियां

सीतामढ़ी। सीतामढ़ी रेलवे स्टेशन से एक साथ सात नेपाली लड़कियों की बरामदगी के मामले में सनसनीखेज वाकया सामने आया है। पता चला है कि सभी लड़कियों को फिल्मों में काम कराने का प्रलोभन देकर बहला-फुसलाकर मुंबई ले जाया जा रहा था। उधर, नेपाल के जलेश्वर जिले के सीतापुर थाना क्षेत्र के एक ही मोहल्ले से उन सातों लड़कियों के एक साथ लापता होने की सूचना के बाद नेपाल में हड़कंप मच गया था। इधर, सीतामढ़ी रेल पुलिस की मामूली पूछताछ में केवल यह मान लिया गया था कि ये लड़कियां पा‌र्श्व गायिकाएं अथवा हीरोइन बनने के लिए नेपाल से खुद भागी थीं, सहजता से यह बात किसी के गले नहीं उतर रही थी। पुलिस को जो जवाब उन सातों ने दिए वह केवल रटा-रटाया प्रतीत हो रहा था। इस बीच सच्चाई सामने आने से यह मामला सीधे तौर पर ह्यूमन ट्रैफिकिग से जुड़ गया है।


भारत-नेपाल सीमा के यूपी से लेकर बिहार तक का एक बड़ा इलाका अरसे से ह्यूमन ट्रैफिकिग का बड़ा ट्रांजिट जोन रहा है। जानकारों के अनुमान के अनुसार, हर साल हजारों नेपाली लड़कियों को तस्कर अच्छी नौकरी या फिल्म वगैरह में काम दिलाने के झूठे वादे कर उनके परिवार से दूर ले जाते हैं। लेकिन, कइयों की ये हसरत देह व्यापार जैसे एक दु:स्वप्न में खत्म हो जाती है। नेपाल के रास्ते महिलाओं व लड़कियों की तस्करी के ज्यादातर मामले सामने आते रहे हैं। सीतामढ़ी जिले के रास्ते होने वाली ट्रैफिकिग के बारे में खुफिया विभाग ने भी गृह मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंप रखी है और कहा है कि नेपाली लड़कियों को खाड़ी देशों में बेचा जा रहा है। यदि उनको बॉर्डर पर पुलिस व एसएसबी की सतर्कता से पकड़ लिया जाए तो उनकी जिदगी बचाई जा सकती है। नेपाल में 25 अप्रैल 2015 में आए भूकंप ने सब तबाह कर दिया। अब भी लोग अपनों को तलाश रहे हैं। तब से सुरक्षा एजेंसियों को यह भय और भी सताने लगा कि वहां महिलाएं और बच्चे मानव तस्करी का शिकार न हो जाएं।
------------------------ नेपाल के एक पूर्व पीएम की पुत्रवधू ने ह्यूमन ट्रैफिकिग रोकने को खड़ा किया था संगठन नेपाल में वहां के एक पूर्व प्रधानमंत्री की पुत्रवधू ने वहां इस मानव व्यापार को रोकने के लिए ''माइती नेपाल'' नामक बड़ा संगठन बनाया था। माइती नेपाल की स्थापना 1993 में अनुराधा कोइराला ने की। लक्ष्य था, जबरन वेश्यावृत्ति में धकेली गई लड़कियों व महिलाओं को आजाद कराना और उन्हें जीवन संवारने का एक नया अवसर देना। लड़कियों के लिए शिक्षा की व्यवस्था और सम्मान के साथ जीने के लिए मदद मुहैया कराना। इस संगठन का मानना था कि नेपाली लड़कियों को भारत ले जाकर उन्हें वेश्यावृत्ति के पेशे में धकेल दिया जाता है। लड़कियां दुष्कर्म और हिसा का शिकार बनती हैं। ------------------------
..तो सभी लड़कियां फंस गई होतीं तस्करों के चंगुल में नेपाल की सातों लड़कियों को ट्रेन के जरिये देश के महानगरों मे ले जाने की तैयारी चल रही थी। शक होने पर जब जीआरपी पुलिस ने पूछताछ की तो मामला खुलकर सामने आया। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय मामला होने के चलते रेल पुलिस ने मामले को दबाने की कोशिश की। बरामद लड़कियों के स्वजनों ने नेपाली पुलिस से लड़कियों के एक साथ लापता होने की शिकायत दर्ज कराई थी। मगर, सीतामढ़ी में इस तरह से उनकी बरामदगी से ह्यूमन ट्रैफिकिग का मामला सामने आया। जीआरपी ने इस मामले को लेकर नेपाल पुलिस को सूचना दी जिसके बाद वहां की पुलिस भी फौरन पहुंच गई।
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सत्यापन के बाद लड़कियों को उनके स्वजनों को सौंपा गया
चाइल्ड लाइन, सीतामढ़ी के को-ऑर्डिनिटेर कमलेश कुमार के अनुसार, रेल पुलिस ने उन्हें लड़कियों की सूचना देकर स्टेशन बुलाया और चाइल्डलाइन के हवाले कर दिया। कमलेश ने बताया कि काउंसिलिग के बाद सभी लड़कियों को बाल कल्याण समिति, सीतामढ़ी के सामने उपस्थापित किया गया। वहीं समिति के सदस्य अनिमेश कुमार ने बताया कि उन सभी लड़कियों के बारे में सही ढंग से जानकारी लेने और सत्यापन के बाद उन्हें उनके स्वजनों को सौंप दिया गया। ------------------------
इराक में बिकने से बची थीं नेपाल की बेटियां बीते मार्च महीने में भारत-नेपाल सीमा पर सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) के जवानों की मुस्तैदी से इराक में बिकने से नेपाल की बेटियां बच गई थीं। एक लड़की समेत चार महिलाएं तस्करों के चंगुल में फंस गई थीं। भारतीय एजेंट उन सभी को बहला-फुसलाकर नेपाल से भारत के रास्ते इराक ले जाने की तैयारी में थे। नेपाल से विदेश जाने पर रोक के कारण एजेंट उन सभी को भारत के रास्ते पैदल बॉर्डर पार करा रहा था। तैयारी थी कि इन लड़कियों को भारत के किसी एयरपोर्ट से इराक भेज दिया जाए। लेकिन इसी बीच गश्त में लगे एसएसबी के जवानों को देखकर एजेंट रास्ते से ही फरार हो गया और चारों बचा ली गईं। गौरतलब है कि सीतामढ़ी इलाका नेपाल से सटा हुआ है, इस कारण तस्कर हमेशा इस रास्ते से भारत में प्रवेश करने की कोशिश करते हैं। इससे पहले भी 3 मार्च को सीतामढ़ी के भारत-नेपाल सीमा से एक युवती समेत तीन नेपाली महिलाओं को एसएसबी के जवानों ने बरामद किया था।
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