गेहूं की हुई बंपर पैदावार, उचित मूल्य को के लिए सशंकित हैं किसान

संवाद सूत्र, फुलकाहा (अररिया): नरपतगंज प्रखंड क्षेत्र के खेतों में अन्नदाता की मेहनत रंग लाई और फसल पककर तैयार है। कई स्थानों पर गेहूं की कटाई भी शुरू है। किसान भी खुश हैं। लेकिन उन्हें यह भी आशंका है कि असमय आंधी, वर्षा व ओले उनके सपनों को कहीं बिखेर न दे। खरीफ फसलों के सीजन में पर्याप्त मात्रा में वर्षा नही होने से धान की पैदावार में काफी गिरावट आई थी। जिससे किसानों में काफी निराशा है। पुरवइया हवा बह रही है और बादल छा रहे हैं। अगर आंधी, वर्षा व ओले पड़े तो तैयार फसल खेतों से खलिहान तक नहीं पहुंच पाएंगे। इससे किसानों की कुल लागत पूंजी समाप्त हो जाएगी।


लेकिन क्या मिलेंगे उचित दाम
मकई के फसल को बेमौसम बारिश ने बर्बाद ही कर दिया था। नरपतगंज के उत्तरी छोर में बाढ़ ने ऐसा तांडव मचाया की मकई के फसल खेत मे ही बर्बाद हो गया था। जो भी बचा तो उसका उचित दाम नहीं मिला। किसान ओने पौने दाम पर बेचने पर मजबूर हो गए। वही दाम धान के साथ भी हुआ।
अभी राज्य में गेहूं का समर्थन मूल्य 1925 रुपये तय है। एपीएमसी हटने से बिहार के किसान और ग़रीब हुए हैं
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस दावे पर कि 2006 में एपीएमसी एक्ट खत्म कर देने से बिहार के किसानों को काफी लाभ हुआ, आज भी बिहार के किसान अपना धान 11 से 12 सौ रुपये प्रति क्विटल की दर पर बेचने को विवश थे। जबकि एमएसपी 1650 रुपये थे। कितना सही है पैक्स
कागज पर तो यह व्यवस्था बहुत आदर्श मालूम होती है। किसानों की सहकारी संस्था है। इसके अध्यक्ष चुने जाते हैं और हर पंचायत में सरकारी खरीद होती है। पैक्स के जरिये धान की खरीद होती है। जब राज्य के अधिकांश किसान अपनी फसल बिचौलिये को बेच चुके होते हैं। यहां के किसानों को पैक्स होने के बावजूद गेहूं के समर्थन मूल्य का लाभ कभी नहीं मिल सका।
नरपतगंज प्रखंड कृषि पदाधिकारी विजय कुमार ठाकुर ने बताया कि नरपतगंज प्रखंड में कुल 5320 हेक्टेयर किसानों के द्वारा गेंहू लगाया गया है।
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