मुंगेर। बरियारपुर प्रखंड की शान रही खादी भंडार भूत बंगला बन कर रह गया है। कभी ताना चरखे की आवाज सुनाई पड़ती थी। अब ना ही ताने की खटपट की आवाज सुनाई पड़ती है न ही चरखा की दीन दीन की आवाज। कपड़ा रंगने, कंबल बनाने, रेशम के कपड़े बनाने के लिए मशहूर खादी भंडार में मजदूर काम करना नहीं चाहते हैं।
बरियारपुर में खादी भंडार के दो केंद्र हैं ।प्रधान कार्यालय बरियारपुर में तथा निर्माण कारखाना नया छावनी में अवस्थित है। नया छावनी में अवस्थित निर्माण कारखाना जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पड़ा हुआ है। खपड़ा एवं टीन के चदरे के खराब होने से यहां आए ताने तथा चरखा बर्बाद हो रहे हैं। मजदूरी जल्दी नहीं मिलने के कारण मजदूरों ने काम करना बंद कर दिया है। नया छावनी स्थित निर्माण केंद्र में पहले साबुन, कंबल, रेशम खादी के कपड़े आदि का निर्माण के साथ-साथ रुई से धागा की कटाई का काम होता था। इसके अलावा खादी भंडार से बुनकर सामान लेकर अपने घर में भी ताना पर खादी के कपड़े बनाते थे। अब इसे देखने वाला कोई नहीं है। प्रधान कार्यालय में सिर्फ मंत्री और कर्मचारी बैठते हैं। पूर्व में यहां पर भी सरसों तेल सत्तू सहित कई सामग्री बनाए जाते थे। पूंजी के अभाव में पूरी तरह से बंद हो चुका है। खादी भंडार में काम करने वाले रामदेव तांती, जगदेव तांती, भरत तांती सूत काटने वाले सुखदेव यादव, फूलवती देवी आदि ने बताया कि काम करने के बाद मजदूरी मिलने में देर होती थी। जिसके कारण उन लोगों ने काम करना बंद कर दिया। पूंजी के अभाव के कारण काम पूरी तरह से ठप हो गया है। कभी यहां सैकड़ों मजदूर काम करते थे। आज एक भी मजदूर काम करने नहीं आते है।अन्य खादी भंडार को यहां से कपड़े बेचने के लिए भेजे जाते थे। आज दूसरे जगह के बने कपड़े बिक्री केंद्र में लाकर बेचे जाते हैं।इस संबंध में अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने बताया कि पूंजी के अभाव के कारण काम बंद है। काम शुरू कराने का प्रयास किया जा रहा है ।
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