अनूठी विधि से मछली पालन कर मछली पालकों के लिए बने नजीर

-बायोफ्लॉक विधि से अपनाया मछली पालन की आधुनिकतम विधि

-कम खर्च, कम चारा, कम जगह और कम पानी में मछली का ज्यादा उत्पादन संभव ------------------------------ संवाद सूत्र, करजाईन बाजार (सुपौल): पोखर-तालाब एवं लंबे-चौड़े जलकर में मछली पालन तो आप खूब देखे होंगे, लेकिन वर्मी कंपोस्ट की तरह छोटे-छोटे पक्की टैंक का निर्माण कर मछली पालन बहुत कम ही देखने को मिला होगा। प्रतापगंज प्रखंड के गोविदपुर गांव के बुजुर्ग किसान तेज नारायण मंडल अपनी इस अनूठी विधि से मछली पालन के लिए पूरे क्षेत्र के मछली पालकों के लिए नजीर बन गए हैं। इन्होंने मछली पालन की आधुनिकतम तकनीक बायोफ्लॉक विधि को अपनाया है। जिसमें कम खर्च, कम चारा, कम जगह और कम पानी में मछली का ज्यादा उत्पादन संभव है। ------------------------------ कोरोना के कहर ने बदली तस्वीर जब कोरोना के कहर के बाद जारी लॉकडाउन ने पूरे देश में उथल-पुथल का माहौल कायम कर दिया था उसी समय बुजुर्ग तेजनारायण मंडल ने खुद को आत्मनिर्भर बनने की ठान ली। उन्होंने गांव में ही अपनी जमीन पर तीन-चार टैंक का निर्माण किया और मछली पालन शुरू किया।

------------------------------ ऋण लेकर शुरू किया व्यवसाय
इस व्यवसाय के लिए तेज नारायण मंडल ने शिव वृद्ध स्वयं सहायता समूह के सदस्य होने के नाते अपने समूह से 20000 और अक्षयवट बु•ाुर्ग महासंघ से 50000 रुपये ऋण ले कर मछली पालन का कार्य शुरू कर दिया। करीब छह माह पूर्व उनके द्वारा शुरू किए गए कार्य रंग लाने लगे। उनके देखा-देखी अन्य लोग भी अब इस तरफ आकर्षित होने लगे हैं। ------------------------------ कहते हैं बुजुर्ग किसान
तेजनारायण मंडल बताते हैं कि उन्होंने वर्मी कंपोस्ट निर्माण के लिए तैयार किए जाने वाले टैंक (पीट) की तरह करीब 10 फीट लंबा, आठ फीट चौड़ा एवं साढ़े तीन फीट गहरा तीन पक्की टैंक का निर्माण कर इसके ऊपर शेड का निर्माण किया और इसी टैंक में उन्होंने मछली पालन शुरू कर दिया। टैंक में उन्होंने हाईब्रीड मांगुर एवं कबइ मछली का जीरा डाला। टैंक में पानी कम न हो इसके लिए मोटर से पाइप बिछाकर हर टैंक तक पहुंचाया गया है। उन्होंने बताया कि करीब 40 हजार के मछली का जीरा उन्होंने डाला था। इससे छह माह में उन्हें ढाई से तीन लाख रुपये की आमदनी हुई। ------------------------------ मछली पालन के लिए आकर्षित हो रहे हैं लोग
इस विधि से मछली पालन की चर्चा अब बहुतायत में सुनने को मिल रही है। साथ ही टैंक में कलकल करते मछली को देखने के लिए भी लोग पहुंच रहे हैं। इस बारे में अक्षयवट बुजुर्ग महासंघ के अध्यक्ष सीताराम मंडल एवं हेल्पेज इंडिया के परियोजना समन्वयक प्रभाष कुमार कहते हैं कि कोरोना के कहर काल में बुजुर्ग तेजनारायण मंडल ने आपदा को अवसर में बदल कर दिखा दिया है। साथ ही आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार कर रहे हैं। इन्होंने बताया कि इस बुजुर्ग की मेहनत एवं सोच दूसरों को भी प्रेरित करेगा। स्वरोजगार के रूप में अगर आज के युवा इस तरह के कार्य की तरफ मुड़े तो अच्छी आमदनी घर पर ही रहकर ले सकते हैं। इसके लिए जरूरत है कि सरकारी स्तर पर भी इस तकनीक को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रशिक्षण और आर्थिक मदद पहुंचाई जाए।
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