मक्का किसानों के अरमानों को रौंद रहे नेपाल के जंगली हाथी, किसान परेशान

संवाद सूत्र, दिघलबैंक (किशनगंज)। नेपाल सीमा से सटे बिहार के दिघलबैंक प्रखंड क्षेत्र के मक्का किसानों के अरमानों को जंगली हाथियों का झुंड रौंद रहा है। मक्के के पौधों के बड़े होते ही नेपाल के जंगल से हाथियों के झुंड का आना शुरू हो गया है। पिछले कुछ दिनों में वे एक दर्जन बार इस इलाके में आ चुके हैं। हाल में भी दिघलबैंक थाना क्षेत्र के खेतों में आठ-दस की झुंड में आए जंगली हाथियों ने फसलों को रौंद कर भारी नुकसान पहुंचाया। इनका यह सिलसिला विगत कई वर्षों से लगातार चला आ रहा है। पिछले साल एक उन्मत्त हाथी ने एक किसान की कुचल कर हत्या कर दी थी। कहने को वन विभाग द्वारा किसानों को हाथियों के उपद्रव से छुटकारा दिलाने के लिए सीमावर्ती गांव में इस साल भी कैंप लगाया गया है। लेकिन उन्हें उसका उचित लाभ नहीं मिल रहा है। अक्सर उनके एक दिन बाद पहुंचने से तबतक हाथी भाग चुके होते हैं। नतीजतन जान माल की रक्षा के लिए ग्रामीण रतजगा करने को मजबूर हैं।

रामानंद राय, मदन मोहन ङ्क्षसह, मुरली मनोहर आदि अनेकों किसानों का कहना है कि धनतोला पंचायत सहित सीमावर्ती इलाके में मक्का फसल शुरू होते ही नेपाल के घने जंगलों से निकलकर भारतीय क्षेत्रों में हाथियों का आना शुरू हो जाता है। कनकई नदी के बालू वाले भाग से विचरण करते हुए हाथियों का झुंड मक्का के खेतों में पहुंच जाता है और फसलों को रौंद कर वापस चला जता है। इस दौरान गांवों में घरों को भी तोडफ़ोड़ कर नुकसान पहुंचाता है। वर्षों से यह सिलसिला बना हुआ है। अब तक कई लोगों की जान भी जा चुकी है। इस साल भी एक दर्जन से अधिक बार हाथियों ने फसल को बर्बाद किया है।
रविवार रात को मुलाबारी पागलीपारा- लोहाकिला में घुस आया हाथियों का झुंड मंगलवार तक डेरा डाले रहा। सोमवार रात को हाथियों ने कई किसानों के फसल को रौंद डाला। आलम यह है कि किसान दिन के समय में भी अपने ही खेतों में लगे मक्का फसलों को देखने जाने से डर रहें हैं। मंगलवार को भी दो हाथियों को देखा गया। हाथियों का झुंड लगभग किलोमीटर क्षेत्र में डेरा जमाए हुए है। धनतोला पंचायत में बने अस्थाई कैंप के वनकर्मियों और वॉलेंटियर के अनुसार हाथियों का झुंड वापस नेपाल की ओर लौट गया है।
क्षेत्रीय वन पदाधिकारी उमानाथ दूबे बताते हैं कि हाथियों के उत्पात से बचाव के लिए वन कर्मियों की एक टीम लगातार सीमावर्ती इलाके में कैंप कर रही है। हाथियों के उपद्रव से हुई क्षति का मुआवजा दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। किसानों को फसल क्षति का और ग्रामीणों को घर मकान व अनाज की क्षति का मुआवजा दिलाया जा रहा है। हाथियोंं का प्रवेश रोकने के लिए भी वरीय पदाधिकारियों के साथ बैठक में वैकल्पिक उपाय किए जाने पर चर्चा की गई है।

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