कोरोना महामारी के चलते जिले में 30 हजार शादियों पर लगा ग्रहण

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मायूसी
जिले में हर साल औसतन 45 से 50 हजार होती हैं शादियां
15 फीसदी शादियां कोरोना महामारी के कारण फिल्हाल टली
02-02 साल से तय की हुईं शादियां आगे टालनी पड़ रही है
फोटो : 10 पचरूखी के पिपरा गांव में हो रही शादी में दुल्हा व अन्य लोग।
सीवान। हिन्दुस्तान टीम
वैश्विक महामारी कोरोना के दूसरे लहर में आम से लेकर खास तक में खौफ पैदा हो गया है। इसके कारण पहले से दो साल पहले से तय की हुईं शादियां भी अगले साल या फिर नवम्बर या दिसम्बर महीने तक के लिए टालनी पड़ रही है। कोरोना के खौफ से नाते-रिश्तेदारों और सगे संबंधियों तक शादी में आने से इनकार कर दे रहे हैं। मित्र भी संकट की इस घड़ी में अपनी मित्रता की लाज नहीं रख पा रहे हैं। इससे मजबूर होकर लोगों को हलवाई, बैंड बाजा, टेंट, आरर्केष्ट्रा और वाहन आदि के साटा करने में हुए खर्च को भूल जाना पड़ रहा है। एक अनुमान के मुताबित जिले में औसतन हर साल 45 से 50 हजार जोड़े परिणय सूत्र में बंध जाते हैं। इस साल भी करीब 50 हजार पूरे जिले में शादियां होनी हैं। लेकिन कोरोना महामारी के कारण इनमें करीब 30 हजार जोड़े की शादियों पर ग्रहण लगता दिख रहा है। इस साल हिन्दू नववर्ष में 22 अप्रैल से शादियां होनी शुरू हुई हैं। 15 जुलाई तक शादी के लिए शुभ मुहुर्त माना जा रहा है। बहरहाल 8 मई तक कुल 12 दिनों में करीब 5 हजार शादियां संपन्न हो चुकी हैं। हालांकि इस दौरान अब तक 15 फीसदी शादियां आपसी राय-मशवरा से कोरोना के फैलाव को देखते हुए अगले साल तक के लिए टाल दी गयी हैं। जो लोग कोरोना महामारी में ही शादी-विवाह का कार्यक्रम संपन्न कर लेना चाहते हैं, वे पूरी ईमानदारी के साथ सरकारी गाइडलाइन का पालन कर रहे हैं। फेस पर मास्क और हाथ में सेनेटाइजर रखना नहीं भूल रहे हैं। इसके अलावा एक-दूसरे से दूरी भी बनाकर रखा जा रहा है। खाना खिलाने और बनाने वालों को भी मास्क पहनना पड़ रहा है। बरात और तिलकोत्सव में गिने-चुने ही जा रहे हैं।
सीमित उपस्थिति में संपन्न हो रहे शादी-ब्याह
पचरूखी प्रखंड के इटवा गांव से 30 अप्रैल को इसी प्रखंड के पिपरा गांव में जब बारात गई तो बराती से लेकर सराती तक सभी ने कोरोना महामारी को ध्यान में रखते हुए इसका पालन किया। द्वारपूजा के समय दुल्हा पिंटू के अलावा लड़की अन्नु के पिता, हजाम, पंडित और दोनों पक्ष से एक-एक सख्स नेक-चार के लिए मौजूद थे। शिक्षक जयप्रकाश सिंह ने बताया कि जयमाला की रस्म स्थगित कर दी गई थी। मड़वा में भी वे ही लोग गए, जिनकी वहां पर जरूरत थी। इधर रघुनाथपुर प्रखंड के निखती कला गांव की करीब आधा दर्जन शादियां कोरोना महामारी को लेकर नवंबर महीने या अगल साल तक के लिए टल गयी है। निखती कला के राजू सिंह की बेटी रितू की शादी इस महीने होनी थी। लेकिन,अब नवंबर महीने में होगी। शादी-विवाह को पूरे शाने-शौकत से पूरा करने की इच्छा रखने वाले अधिकतर लोग कोरोना काल में साधारण तरीके से शादी की रस्म पूरी करने को तैयार नहीं हैं।

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