हाजीपुर के निजी अस्‍पताल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज, ईओयू को मिली शिकायत के बाद कराई गई थी जांच

पटना, राज्य ब्यूरो। आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने हाजीपुर के प्रिंस संजीवनी अस्पताल प्रबंधन के विरुद्ध रविवार को नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज की है। आपदा प्रबंधन एक्ट के तहत दर्ज प्राथमिकी में अस्पताल पर मरीजों से मनमाने तरीके से राशि की वसूली और उन्हें कच्चा बिल थमाने का आरोप लगाया गया है। ईओयू के कंट्रोल रूम में शिकायत दर्ज कराई गई थी कि प्रिंस संजीवनी अस्पताल कोविड मरीजों से निर्धारित सरकारी दर से अधिक की राशि की उगाही कर रहा है। इसके साथ ही मरीजों से इलाज के नाम पर भयादोहन किया जा रहा है। इसके बाद ईओयू की विशेष टीम ने प्रारंभिक जांच में शिकायत को सही पाया और वैशाली एसपी को कार्रवाई के लिए कहा।

जांच दल ने पाई कई गड़बडिय़ां
हाजीपुर के एसडीओ और एसडीपीओ के संयुक्त आदेश पर तीन सदस्यीय जांच दल का गठन किया गया। उसमें अंचलाधिकारी कृष्ण कुमार सिंह, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी रोशन कुमार और नगर थाना अध्यक्ष सुबोध कुमार शामिल थे। ईओयू और गठित जांच दल की जांच में पाया गया कि अस्पताल का नाम और पता दोनों जारी लाइसेंस से अलग हैं।
बगैर नाम के चल रही दवा की दुकान
प्रिंस संजीवनी अस्पताल, एसडीओ रोड के पते पर है, जबकि लाइसेंस में प्रिंस मल्टी स्पेशलिस्ट क्लिनिक एंड हॉस्पिटल के नाम से पुरानी गंडक पुल रोउ, जौहरी बाजार, हाजीपुर का पता दर्ज है। जिला प्रशासन से भी इसी पते पर जंबो ऑक्सीजन सिलेंडर प्राप्त किया जा रहा है। जांच में पाया गया कि संचालित अस्पताल में दवा दुकान भी है, जिस पर कोई नाम दर्ज नहीं है, जबकि संचालन संबंधित कागजात पर दुकान का नाम मे. प्रिंस मेडिकल हॉल, कोनहारा रोड, पोखरा मोहल्ला दर्ज है। यहां भी पता अलग है।
भर्ती से पहले नहीं हो रही कोरोना जांच
ईओयू ने जांच में पाया कि कोरोना लक्षणों के आधार पर मरीजों को भर्ती करने से पहले कोई भी जांच नहीं कराई जाती है। आइसोलेशन संबंधी नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है। कोविड के संदिग्ध मरीजों के साथ ही अन्य मरीजों को रखकर इलाज किया जा रहा है।

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