कोरोना संकट के बीच प्लाजमा थेरेपी को लेकर आईसीएमआर एम्स ने बड़ा फैसला लिया है. कोरोना के इलाज से प्लाज्मा थेरेपी हटाई दी गई है. इस संबंध में AIIMS ICMR की तरफ से नई गाइडलाइन जारी की गई है. इससे पहले कोविड-19 संबंधी भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) , नेशनल टास्क फोर्स की बैठक में सभी सदस्य इस पक्ष में थे कि प्लाजमा थेरेपी को कोरोना इलाज पद्धति से हटाया जाना चाहिए. उनका कहना था कि कोरोना थेरेपी प्रभावी नहीं है कई मामलों में इसका अनुचित रूप से इस्तेमाल किया गया है. इससे पहले जारी दिशानिर्देश के मुताबिक प्रारंभिक मध्यम बीमारी के चरण में यानी लक्षणों की शुरुआत के सात दिनों के भीतर यदि हाई टाइट्रे डोनर प्लाज्मा की उपलब्धता है तो प्लाज्मा थेरेपी के "ऑफ लेबल" उपयोग की अनुमति दी गई थी.
जानिए, प्लाजमा थेरेपी क्या है दरअसल, प्लाज्मा थेरेपी में कोविड-19 से ठीक हुए मरीज के खून में मौजूद एंटीबॉडी को गंभीर मरीजों को दिया जाता है. न्यूज रिपोर्ट्स के मुताबिक विशेषज्ञों के अनुसार 11,588 मरीजों पर प्लाजमा थेरेपी के परीक्षण करने के बाद पाया गया कि इससे मरीजों की मौत अस्पताल से डिस्चार्ज होने के अनुपात में कोई फर्क नहीं आया है