बढ़ रहे प्रदूषण से विलुप्त हो रहीं पक्षियां, बीमार हो रहे लोग

संवाद सहयोगी कलेर,अरवल

विलुप्त हो रही विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों से दिन प्रतिदिन प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। साथ ही इन पक्षियों के विलुप्त होने से लोग उनकी आवाज सुनने तक को तरस गये हैं। विलुप्त पक्षियों में गिद्ध वातावरण को स्वच्छ बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था।
एक दशक पूर्व प्रखंड क्षेत्र में बड़ी संख्या में गिद्ध विचरण करते थे जो मृत पशुओं के सफाये के लिए गिद्ध उसके मांस का भक्षण करने को टूट पड़ते थे। देखते-देखते मृत पशुओं का कंकाल ही रह जाता था। गिद्ध पक्षियों की संख्या में कमी के कारण मृत पशु का शरीर सड़ जाते हैं और दुर्गध से वातावरण प्र²षित होते रहता है। लोगों में विभिन्न बीमारियों के फैलने का खतरा बना रहता है। पशुओं के विच्छेदन होने के बाद उनका मांस हफ्तों पड़ा रहता है। इसके विलुप्त होने का कारण वृक्ष की कटाई भी लोग मान रहे हैं। विलुप्त पक्षियों के दूसरे क्रम में गोरैया का स्थान है, जो अक्सर घरों में अस्थाई तौर पर निवास करती थी। यह पक्षी लोगों को अपनी सुरीली आवाज से मंत्रमुग्ध करने के साथ घर में नुकसान करने वाले कीट पतंगों को खा कर घरेलू वातावरण को शुद्ध करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थी। जबसे इन पक्षियों ने घरों को छोड़ दिया तभी से बीमारियां फैलाने वाले कीट पतंगों की संख्या में भारी इजाफा देखा जा रहा है। जीव विज्ञान शिक्षक सह पर्यावरण विशेषज्ञ बैजनाथ सिंह ने बताया कि गिद्ध प्रजाती विलुप्त हो रही है। यह मांसाहारी पक्षी है। क्षेत्र में जितने भी जानवर की मौत होती थी गिद्ध का मुख्य भोजन वहीं था। लेकिन किसान अपने फसलों में बहुत तरह के कीटनाशक दवाओं का इस्तेमाल करने लगे। किसानों द्वारा केमिकल युक्त फसलों का तैयारी कर अपने मवेशियों को चारा के रुप में खिलाया जाता है। केमिकल युक्त चारें खाने से पशुओं में एक तरह का जहर बन जाता हैं। जहर को पशु तो पचा लेते हैं, लेकिन जब पशु की मौत होती है तो किसान उसे कहीं भी फेंक देते हैं। वहीं मृत पशु को खाने से गिद्ध में जहर चला जाता है जिस कारण गिद्ध की मौत होने लगी। उन्होंने बताया कि गिद्ध के विलुप्त होने का एक कारण गिद्ध का निवास उचें जगहों पर ज्यादा रेडिएशन में होता था, लेकिन उच्चे वृक्ष जैसे ताड़ गाछ, कहुआ इत्यादि अन्य लंबे वृक्ष के कट जाने से इन पक्षियों का बसेरा समाप्त हो गया और धीरे-धीरे गिद्ध विलुप्त होने लगा। जिसका कारण वातावरण प्र²षित हो रहा है। यदि वातावरण को स्वच्छ और सुंदर बनाना है तो पर्यावरण को आगे बढ़ाना होगा और किसानों को किटनाशक केमिकल का व्यवहार कम कर जैविक खाद का उपयोग करना चाहिए।

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