गांधी जी के सपने को झकझोर रहा धवल विगहा का बुनियादी शिक्षा विद्यालय

संवाद सहयोगी हुलासगंज, जहानाबाद

गांधी जी का सपना था सब पढ़े-सब बढ़े। खासकर बुनियादी शिक्षा को वे सबसे ऊपर मानते थे। मगर तीर्रा पंचायत के धवल विगहा में अवस्थित बुनियादी विद्यालय की बुनियाद ही हिलती दिख रही है।
शिक्षा के प्रति गांधी जी की सोच को रेखांकित करते हुए आचार्य कृपलानी ने कहा था कि बुनियादी शिक्षा हमारे राष्ट्रपिता का अंतिम एवं संभवत महानतम उपहार है। गांधी जी के बुनियादी शिक्षा के प्रति सोच और सिद्धांत कई जगहों पर दम तोड़ती दिखती है। जिसका एक उदाहरण हुलासगंज प्रखंड के तीर्रा पंचायत अंतर्गत धवल विगहा गांव में स्थापित बुनियादी विद्यालय है। जिसकी बुनियाद आजादी के तुरंत बाद 1949 में रखी गई थी। गांधीजी के बुनियादी शिक्षा दर्शन से कोसों दूर है। विद्यालय की शिक्षण व्यवस्था। 1937 में वर्धा सम्मेलन में गांधी जी ने बुनियादी शिक्षा व्यवस्था का प्रारूप रखते हुए कहा था कि बुनियादी शिक्षा व्यवस्था बालकों के शारीरिक, मानसिक, नैतिक और आध्यात्मिक विकास के साथ-साथ स्वरोजगार की ओर यथेष्ट उद्योग करती है । लेकिन इन सबके बावजूद बुनियादी शिक्षा व्यवस्था या स्वावलम्बी शिक्षा सिर्फ किताबों में सिमटकर रह गई है।
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आजादी के दो वर्ष बाद सन 1949 में 14 एकड़ कृषि योग्य भूमि दान देकर विद्यालय की स्थापना की गई थी। ग्रामीणों ने चंदा करके भवन और रोजगार परक शिक्षा के साधनों को जुटाया। चरखा से सुतली काटकर कपड़ा की बुनाई की जाने लगी लेकिन एक दशक भी नहीं गुजरा और विद्यालय खंडहर में तब्दील हो गया। लंबे समय तक बदहाली और उपेक्षा के बाद वर्तमान में 10 कमरा और आठ शिक्षकों की व्यवस्था तो की गई है लेकिन दूसरे संसाधनों के मामले में स्थिति काफी बदतर है। विद्यालय में कई संसाधनों का अभाव
कक्षा-आठ तक के इस विद्यालय में पेयजल के नाम पर एक मात्र चापाकल है। चारदीवारी की व्यवस्था नहीं रहने से हमेशा विद्यालय में चोरी की घटना होते रहती है। गांव से दूर एकांत में रहने के कारण यहां अपराधियों और जुआरियों का जमावड़ा लगा रहता है। परिसर गंदगी और जंगल-झाड़ से आच्छादित है। 180 छात्रों का नामांकन मौजूदा सत्र में नामांकन पंजी में दर्ज जरूर है लेकिन बहुत कम बच्चे ही विद्यालय आते हैं। अपने उद्देश्य से भटकी बुनियादी शिक्षा व्यवस्था की ये बदहाल तस्वीर चीख-चीख के कहती है की गांधी के बताये रास्ते पर चलने की वादे-कसमे तो खुब सरकार और प्रशासन के लोग खाते हैं लेकिन उनके सपनो के भारत का अहम तस्वीर आज भी धुंधला है। बुनियादी शिक्षा का उद्देश्य
बुनियादी शिक्षा के तहत आर्थिक , नैतिक लक्ष्य, सांस्कृतिक, नागरिकता , सर्वोदय समाज की स्थापना करना मुख्य उद्देश्य है।

बुनियादी शिक्षा के गुण
क्रिया प्रधान शिक्षा, बालक , गृह , स्कूल व समाज में सामंजस्य, आर्थिक आधार एवं स्वावलंबी शिक्षा विधि शामिल है। बुनियादी शिक्षा की समस्याएं
शिक्षा योजना यथार्थ से संबंधित न होकर कल्पना लोक की वस्तु बनकर रह गई। आधे-अधूरे योजना और क्रियान्वयन में शिथिलता से इस शिक्षा व्यवस्था के प्रति लोगों का नकारात्मक भावना का संचार हुआ। जिसके लिए बुनियादी शिक्षा के आधे-अधूरे क्रियान्वयन और जन-जागरूकता की कमी महत्वपूर्ण रूप से जिम्मेदार है । -------------
विद्यालय की आवश्यकता के संसाधनों के साथ-साथ सुरक्षा के कारगर उपाय की जरूरत है तभी इसके दिन बहुरेंगे। इस क्षेत्र में एक पुलिस चौकी की जरूरत लोग महसूस करते रहे हैं।
सुनील शर्मा, प्रधानाध्यापक
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