Bihar: गुस्से में कभी पारस ने चिराग से कहा था- आज से तुम्हारा चाचा मर गया, रीना पासवान भी थीं मौजूद

पटना, राज्य ब्यूरो। रामविलास पासवान के इशारों की भाषा समझने वाले पशुपति कुमार पारस यूं ही नहीं बगावत पर उतर आए हैं। वे उस दिन से ही घुटन में जी रहे थे, जब उनके दावे को दरकिनार कर चिराग पासवान को पहले संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष और बाद में पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया गया। चिराग को 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद संसदीय दल के नेता का पद भी दे दिया गया। यह पार्टी में रामविलास पासवान का अंतिम पद था। वे लोकसभा चुनाव नहीं लड़े। राज्यसभा में गए। पारस और चिराग के बीच तल्खी 2015 से शुरू हुई थी। 2015 के विधानसभा चुनाव के बाद से सामने भी आने लगी थी। लेकिन, बड़े भाई रामविलास पासवान का लिहाज कर पारस चुपचाप रहे। वे कहते थे-हम कुछ बोलेंगे तो भैया को बुरा लगेगा। भैया बीमार हैं।

तुम मेरा खून नहीं हो सकते
करीबी बताते हैं पारस ने चिराग की इच्छा के विरूद्ध मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कामकाज की तारीफ कर दी थी। चिराग की मां रीना पासवान ने पारस को फोन कर अपने आवास पर बुलाया। पहले से बैठे चिराग पारस पर चीख पड़े-तुम मेरा खून नहीं हो सकते हो। चिराग के सहयोगी सौरभ पांडेय भी वहां मौजूद थे। पारस गुस्से से कांप रहे थे। उन्होंने जवाब दिया-आज से यह चाचा तुम्हारे लिए मर गया। इतना कह कर पारस घर से निकल गए। रीना पासवान से टेलीफोन पर हुई अगली बातचीत में पारस ने इस बात पर अफसोस किया कि वह चिराग को डांट सकती थीं। थप्पड़ लगा सकती थीं। उन्होंने ऐसा नहीं किया।
एक से अधिक सीट पर नहीं लड़ सकते
असल में दोनों के बीच तकरार 2015 के विधानसभा चुनाव के समय ही चरम पर पहुंच गया था। पारस के करीबी बताते हैं कि वे अलौली के अलावा वैशाली जिले के राजापाकर सुरक्षित सीट से भी चुनाव लडऩा चाहते थे। उन्हें अलौली से चुनाव हारने की आशंका थी। चिराग संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष बन गए थे। उन्होंने साफ कहा-पारस किसी एक सीट से ही चुनाव लड़ सकते हैं। परिणाम निकला तो पारस की आशंका सही साबित हुई। वे अलौली से चुनाव हार गए थे। इसके तीन साल बाद नीतीश कुमार ने उन्हें विधान परिषद में भेजा। अपने कैबिनेट में भी रखा। 2019 में पारस लोकसभा में चले गए। 2020 में रामविलास पासवान का निधन हो गया।

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