तीसरी लहर के लिए हम कितने हैं तैयार, कोविड के कारण अस्पताल में सुविधा बढ़ीं, लेकिन आधे हो गए डॉक्टर

संवाद सहयोगी, दाउदनगर (औरंगाबाद)। मार्च 2020 में कोविड-19 को लेकर देश में लाकडाउन की प्रक्रिया शुरू हुई थी। दूसरा चरण चल रहा है और वैश्विक महामारी के तीसरे चरण के आने की संभावना व्यक्त की जा रही है। इस बीच स्वास्थ्य सुविधाओं का कुछ हद तक विस्तार तो हुआ, लेकिन जब चिकित्सक ही नहीं रहेंगे तो इन सुविधाओं का भी कोई मतलब नहीं रह जाता।

मार्च 2020 में जहां अनुमंडल अस्पताल दाउदनगर में आठ चिकित्सक थे। वहीं अभी मात्र चार चिकित्सक रह गए हैं। इसमें भी स्थिति यह है कि तीन महिला चिकित्सक हैं। जिसमें दो स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ हैं। एक एमबीबीएस और एक पुरुष चिकित्सक डा. राजेश कुमार सिंह बतौर उपाधीक्षक पदस्थापित हैं। किसी भी समय मरीज आने पर इन्हें देखना पड़ता है।
कोविड 19 के ही दौर में यहां एक नया 100 केवीए का ट्रांसफार्मर लगाया गया। जिस कारण लो वोल्टेज की समस्या से अनुमंडलीय अस्पताल को मुक्ति मिली। 20 फाउलर बेड अतिरिक्त मिला और इससे संबंधित अन्य सामग्री भी। इसके अलावा यहां एनसीडी क्लीनिक यानी गैर संचारी रोग क्लीनिक खोला गया है, जिसमें प्रत्येक शुक्रवार को जिला मुख्यालय से एक संबंधित चिकित्सक आकर मरीजों को सेवा देते हैं। इसके अलावा यहां फिजियोथैरेपी की सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है। बुनियादी आवश्यकता वाली तमाम सुविधाएं इस फिजियोथैरेपी में उपलब्ध है। यहां मात्र वरिष्ठ स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डा. अंजू एवं डा. रश्मि कुमारी और एमबीबीएस डा. स्नेह किरण ही कार्यरत हैं।
18 अगस्त से शुरू हो सकता है आक्सीजन प्लांट
कोविड-19 के दौर से पहले यहां आक्सीजन की सुविधा समिति थी। अब आक्सीजन पाइप लाइन लगा है। आक्सीजन कंसंट्रेटर 4 मिला, 30 सिलेंडर मिला है। अब 100 लीटर प्रति मिनट आपूर्ति करने वाला आक्सीजन प्लांट का निर्माण हो रहा है। जिसके उद्घाटन की संभावना 18 अगस्त को है। जिस दिन देश में ऐसे कई प्लांट का उद्घाटन केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी करेंगे।
35 की जगह मात्र चार डाक्टर : डा. राजेश
अनुमंडल अस्पताल के उपाधीक्षक डा. राजेश कुमार सिंह ने बताया कि यहां चिकित्सकों के 35 पद स्वीकृत हैं। कोविड-19 के दौर शुरू होने के पहले यहां 8 चिकित्सक कार्यरत थे। आज मात्र चार हैं। जिसमें 3 महिला हैं। अकेले वे पुरुष चिकित्सक हैं जिन्हें मरीजों के अलावा दूसरी तमाम समस्या झेलनी पड़ती है। यहां जीएनएम के 50 पद स्वीकृत है, जबकि मात्र 22 पदस्थापित है। डा. राजेश ने बताया कि किसी भी तरह का ऑपरेशन होना यहां बीते 4 महीने से बंद है। कारण एनेसथीसिया का पद रिक्त है और कोई सर्जन चिकित्सक भी नहीं है।
लगना है 1000 लीटर क्षमता का आरओ
वैश्विक महामारी को देखते हुए ही क्षेत्रीय सांसद महाबली सिंह ने यहां 1000 लीटर क्षमता का आरओ प्यूरीफायर लगाने की अनुशंसा किया है। कार्यवाही चल रही है। यह योजना प्रक्रियाधीन है। कब तक लग सकेगा यह कोई नहीं बता सकता।

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