पेगासस बनाने वाली कंपनी ने इस स्पाईवेयर को लेकर कौन सा बड़ा दावा किया है?

इन दिनों पेगासस चर्चा में है. आरोप है कि इस स्पाईवेयर के ज़रिये दुनिया में तमाम लोगों की जासूसी की गई. इसके बीच पेगासस का मालिकाना हक रखने वाली इज़रायल की कंपनी NSO ग्रुप ने अपने इस स्पाईवेयर का बचाव किया है. कंपनी का कहना है कि पेगासस की बदौलत ही दुनिया के तमाम हिस्सों में लोग रात में चैन की नींद सो पाते हैं. इसी की वजह से लोग रात में अपने घरों से निकल पाते हैं.

साथ ही कंपनी ने ये भी कहा है कि पेगासस के क्लाइंट्स के ज़रिये जो डेटा इकट्ठा होता है, उसका एक्सेस कंपनी के पास नहीं होता. NSO ग्रुप ने बयान जारी करते हुए कहा -
"दुनियाभर में करोड़ों लोग रात में चैन की नींद सो रहे हैं. रात में सड़कों पर सुरक्षित घूम रहे हैं. ये सब पेगासस जैसे टेक्नॉलजी की मदद से ही संभव हो पा रहा है. ये टेक्नॉलजी दुनिया की इंटेलिजेंस एजेंसी और कानूनी एंजेसियों को अपराध, आतंकवाद और तमाम चोरी-छिपे हो रहे अपराधों को रोकने, लोगों को इससे बचाने में मदद करती हैं. हम लगातार एक सुरक्षित दुनिया बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं."
डेटा एक्सेस की बात पर कंपनी ने कहा -
"NSO न तो इस टेक्नॉलजी को ऑपरेट करता है और न ही इसके पास डेटा का एक्सेस रहता है. हम तमाम साइबर इंटेलिजेंस कंपनियों के साथ मिलकर सरकारों के लिए सायबर इंटेलिजेंस टूल बनाने में मदद करते हैं. ताकि सोशल मीडिया या मेसेजिंग के जरिये कोई संदिग्ध गतिविधि होने पर उसे पकड़ा जा सके."
इंडिया टुडे की ख़बर के मुताबिक अक्टूबर 2019 में भी NSO ने कहा था कि -
"गंभीर अपराध और आतंकवाद को रोकने के अलावा अगर किसी भी काम में इस टेक्नॉलजी का इस्तेमाल किया जा रहा है तो वो दुरुपयोग की श्रेणी में आएगा और वो कॉन्ट्रैक्ट का उल्लंघन करने जैसा भी होगा."
पेगासस का मामला
18 जुलाई को दुनिया के 17 अखबारों-पोर्टल्स पर एक ऐसी खबर छपी, जिसने भारत समेत पूरी दुनिया में बवाल मचा दिया. खबर ये कि इज़रायल में सर्विलांस सर्विस से जुड़ा काम करने वाली निजी कंपनी के डेटाबेस में दुनिया के हज़ारों लोगों के मोबाइल नंबर मिले हैं. इज़रायल की इस कंपनी का नाम NSO ग्रुप है और इसके जासूसी करने वाले स्पाइवेयर का नाम पेगासस है. तो पेगासस का डेटाबेस लीक हुआ. अब धीरे-धीरे उन लोगों के नाम सामने आ रहे हैं, जिनके नंबर लीक्ड डेटाबेस में हैं. इसी को लेकर भारत समेत दुनिया के कई देशों में हंगामा बरपा हुआ है.
इस पूरे मामले को पेगासस प्रोजेक्ट के तहत सामने रखा गया है. इसमें भारत का भी एक न्यूज पोर्टल शामिल है. द वायर. उसके मुताबिक, डेटाबेस में भारत से जुड़े 300 मोबाइल नंबर हैं, जो 40 पत्रकारों, 3 बड़े विपक्षी नेताओं, नरेंद्र मोदी सरकार की कैबिनेट के दो मंत्रियों, एक संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति और कई सिक्यॉरिटी एजेंसी के अधिकारियों से जुड़े हैं. कुछ कारोबारियों के नंबर भी सामने आए हैं.
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