नेपाल की पहाड़ों से आनेवाली नदियां बिहार में मचा रही तबाही, बाढ़ से निजात के लिए दरभंगा में धरना

दरभंगा, जासं। बाढ़ के स्थाई निदान की मांग को लेकर बिहार प्रदेश जदयू शिक्षा प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष डा. राम मोहन झा के नेतृत्व में प्रमंडलीय आयुक्त कार्यालय के समक्ष सामूहिक उपवास कार्यक्रम आयोजित किया गया। उपवास पर बैठे डा. राम मोहन झा ने कहा कि 1954 से बिहार में बाढ़ आ रही है, यह अब अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बन चुका है। नेपाल की पहाड़ों से आनेवाली नदियां बिहार में तबाही मचा रही है। बिहार के लिए सबसे अहम नेपाल के वराह क्षेत्र में बहुद्देशीय डैम बनाने की योजना थी, लेकिन इसका सर्वे का काम आज तक पूरा नहीं हुआ। बिहार ढलान पर है नेपाल में बारिश हुई तो बिहार में बाढ़ निश्चित है।

1987 तथा 2008 के जल प्रलय को लोग अभी भी भूले नहीं हैं। 1987 की बाढ़ ने तो बिहार को हिला दिया था। यह बिहार के इतिहास की सबसे भीषण बाढ़ थी । कोसी ने 2008 में जब कहर बरपाया था तब लाखों लोग बेघर हो गए थे। राज्य में आने वाले प्रलयकारी बाढ़ से न केवल जन जीवन अस्त व्यस्त होता है , बल्कि आधारभूत संरचनाओं को भी काफी नुकसान होता है ।
उपवास कार्यक्रम को संबोधित प्रोफेसर उदय शंकर मिश्रा ने कहा कि राजनेताओं, नौकर शाह की मिलीभगत तथा लूट खसोट के कारण आज तक बाढ़ का स्थाई समाधान नहीं हुआ है। राज्य केंद्र मिलकर समस्या का समाधान करे। बाढ़़ की वजह से तमाम जगहों पर जल जमाव के साथ आवागमन बाध‍ित होना आम बात है। बाढ़़ से क‍िसानों की लगी हुई फसद बबार्द हो जाती है । उपवास कार्यक्रम में डा. सुरेश राम, डा. कुशेश्वर सहनी, मनोज कुमार झा, श्याम कुमार झा , गोनूक राम , परमानंद चौधरी, मुकुल महासेठ, मोदी नारायण चौधरी, अनिल कुमार झा, कुलानंद झा, रघुनाथ शर्मा , धम्रेन्द्र कुमार, जितेंद्र कुमार , अरुण कुमार, चन्द्र मोहन चौधरी, पुनिया नंद यादव, भाग नारायण चौधरी, कृष्ण कुमार झा समेत अन्य मौजूद थे।

अन्य समाचार