खेतों में किसान खूब डाल रहे यूरिया, मृदा और स्वास्थ्य दोनों पर पड़ रहा असर

बांका। फसलों के अधिक उत्पादन के लिए खेतों में अधिक मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग फसल के लिए हानिकारक है। किसान जानकारी के अभाव में ज्यादा उत्पादन के लिए खतों में अधिक उर्वरक डालते हैं। जो फसल व खेतों को नुकसान पहुंचाता है। सबसे अधिक यूरिया की खपत खरीफ फसल में होती है। इस सीजन में 19 हजार 683 एमटी यूरिया की खपत होती है।

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धान खेतों में दो बार दिया जाता है खाद
किसान अपने खेतों में दो बार खाद का प्रयोग करते है। पहला धान की नीराई के बाद दूसरा धान में बाली होने के समय। अभी तक लगभग 30 फीसद धान की रोपाई हो सकी है। धान की रोपाई के 25 दिन के बाद इसकी निराई की जाती है। अभी किसानों को आसानी से खाद उपलब्ध हो जा रहा है। लेकिन 15 अगस्त के बाद और सितंबर माह में खाद की मांग अधिक हो जाती है। ऐसे में किसानों को खाद नहीं मिलने लगता है। इस कारण किसानों को अधिक कीमत पर यूरिया खरीदना पड़ता है। हालांकि इस बार सरकार द्वारा तय कीमत पर खाद उपलब्ध कराने के लिए कई ठोस कदम उठाए गए है।
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यूरिया का अधिक प्रयोग मृदा पर डालता है विपरीत प्रभाव
केविके के शस्य विज्ञानी डा. रघुवर साहू ने बिताया कि फसल उत्पादन के लिए कुछ पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। इसमें तीन प्रमुख है, यूरिया, फास्फोरस व पोटाश। किसान खेतों में यूरिया, डीएपी और पोटाश का अधिक प्रयोग करते है। यूरिया का अधिक प्रयोग खेतों में मृदा पर विपरीत प्रयोग डालता है। खेतों में फसल अवशेष को जलाने से जीवाशम कार्बन की कमी हो रही है। इसमें फसल अल्प आयु में ही अधिक वृद्धि हो जाती है। यूरिया का विज्ञानिक विधि से संतुलित मात्रा में प्रयोग करने के साथ ही देसी गोबर खाद का भी प्रयोग करना चाहिए। खेतों में फसल अवशेषों के जलाने के बजाय सड़ाकर खेतों में डालना चाहिए।
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कोट
खेतों में रासायनिक खाद व कीटनाशक दवा का अत्यधिक प्रयोग भूमि, पर्यावरण, फसल के साथ स्वास्थ्य पर खराब असर पड़ता है। यूरिया का अधिक प्रयोग कर उगाई गई सब्जी या अन्य फसल काफी नुकसानदायक होरी है। रासायनिक खाद में केमिकल का अधिक प्रयोग किया जाता है। इससे खानपान, पाचन शक्ति कमजोर हो सकता है। किसानों को जैविक खेती अपनाना चाहिए। ताकि सभी लोग स्वस्थ्य जीवन जी सके।
डा. सुनील चौधरी, प्रभारी, शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बांका
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जिले में उपलब्ध खाद एमटी में
खाद आवश्यकता उपलब्ध
यूरिया 19683 6500
डीएपी 6583 1875
एनपीके 4393 819
एमओपी 2100 120
एसएसपी 2600 61

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