दिघवारा में पंचायत चुनाव ने बढ़ाई गांव के दलानों की रोनक

संसू, दिघवारा: प्रखंड क्षेत्र के गांवों में पंचायत चुनाव का रंग चढ़ने लगा है। संभावित प्रत्याशियों की सक्रियता बढ़ने लगी है। वोटरों के दलान पर दस्तक पड़ने लगे हैं। हर प्रत्याशी अपने ढंग से चुनावी शतरंज की बिसात बिछा रहे हैं।

वार्ड सदस्य लेकर मुखिया, पंचायत समिति सदस्य, पंच सरपंच व जिला परिषद सदस्य के संभावित प्रत्याशियों की कतार भी लगातार लंबी हो रही है। ऐसे में गांवों के सुने दलानों पर बहार लौटने लगी है। चुनाव को लेकर अब दलान के चौकी पर चादर भी रहती है और आंगन के लोगों की नजर भी दलान पर रहती है। पता नहीं कब कौन प्रत्याशी आ धमके। पांच साल तक जो चरण जिस दलान पर नहीं पड़े थे अब सरेआम पड़ने लगे हैं। आजकल चाय, पानी की व्यवस्था तो लगभग हर घर में रहती है। रहे भी क्यों नहीं, आखिर दलान की मर्यादा का सवाल है और पांच साल बाद ही तो यह मौका आमलोगों को मिलता है। चुनाव के बहाने ही सही गांवों के सुने दलानों के पुराने दिन लौट आए है। यहां बहार लौट आई है। दलान बैठक, बरामदा, मकान के बाहर लोगों के बैठने की छतदार खुली जगह या ओसारे को कहा जाता है। गांव में इसका खास महत्व था और उपयोगिता भी। जिसका दलान जितना बड़ा उसकी सामाजिक प्रतिष्ठा उतनी बड़ी होती थी। घर के मुखिया का यह निवास स्थल होता था लिहाजा आनेवाले लोग पहले यहीं विराजते थे। दलानों पर दो चार लोग हमेशा बैठे मिल जाते थे। समय बदला तो खेती बाड़ी से लोगों को गुजर बसर मुश्किल हो गई नतीजा हुआ कि रोजी रोटी के लिए लोगो का पलायन होने लगा दलानों की रौनक खत्म होने लगी। कमाने लायक लोग परदेश चले गए और दलानों की शोभा खांसते बुढ्ढे लोग, खेलते बच्चों की टोली और जुगाली करती बकरियां बढ़ाने लगी है। खैर सबका दिन एक जैसा नहीं रहता है। पंचायत चुनाव को लेकर एकबार फिर दलानों की रोनक लौटने लगी है। ----------------

-सुने पड़े दलान अब रहने लगे हैं गुलजार, पहुंचने लगे हैं नेता
-बैठक में होती है चुनाव व उम्मीदवारों के नाम की चर्चा

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