अमनौर व भेल्दी में 50 से अधिक बच्चे वायरल बुखार व डायरिया से पीड़ित

संसू, अमनौर/भेल्दी: अमनौर में बढ़ते वायरल बुखार व डायरिया के प्रकोप को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह मुस्तैद है। प्रखंड की आशा को बताया गया है कि किसी भी गांव के व्यक्ति को एक या दो दिन तक बुखार रहे तो तुरंत अमनौर सीएचसी को सूचित करें। स्वास्थ्य विभाग प्रखंड क्षेत्र के परसा, हुस्सेपुर व रसूलपुर पंचायत में वायरल बुखार, डेंगू, डायरिया से पीड़ित बच्चों पर विशेष नजर रख रहा है। अब तक अमनौर व भेल्दी में 50 से अधिक बच्चे बुखार व डायरिया से पीड़ित मिले हैं। उनका इलाज स्थानीय स्तर पर चल रहा है। अमनौर में तीन बच्चों की हो चुकी है मौत


अमनौर सीएचसी के स्वास्थ्य प्रबंधक ने दावा किया है कि विभाग पूरी तरह से मुस्तैद है। दवाओं की कोई कमी नहीं है। मगर यहां बीमार बच्चों की जांच कर जरूरी दवाइयां लिखने वाला कोई शिशु रोग विशेषज्ञ नहीं है। अमनौर प्रखंड क्षेत्र में वायरल बुखार से पीड़ित बच्चों की संख्या ज्यादा होने के साथ-साथ तीन बच्चों की मौत भी हो गई है। ऐसे में एक भी शिशु रोग विशेषज्ञ का नहीं होना विभाग के दावों पर सवालिया निशान खड़ा करता है। ओपीडी में 55 में 35 दवाइयां मौजूद, इंडोर में मिल रहीं 30 दवाइयां
अमनौर में वायरल बुखार, डेंगू के क्षेत्र में बढ़ते प्रकोप को देखते हुए गंभीर बीमारियों की दवाओं का स्टाक है। जहां जिस प्रकार जरूरत पड़ रही है, वहां सप्लाई की जा रही है। स्वास्थ्य विभाग के पास अन्य बीमारियों के लिए ओपीडी में 55 में 35 दवाइयां, इंडोर में 58 में 30 दवाइयां, कंज्यूमर में 30 में 30 दवाइयां उपलब्ध है। जबकि आपको खांसी होने पर आप अमनौर सीएचसी में जाएंगे तो आपको खांसी की दवाइयां नहीं मिलेंगी। यह दवाई पिछले कई दिनों से उपलब्ध नहीं है। -------------
तीन मासूमों की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग एक्शन में
सिरसा खेमकरण अजा बस्ती में वायरल बुखार से तीन बच्चों की मौत व 20 से अधिक बच्चों के चपेट में आने की खबर के बाद स्वास्थ्य विभाग एक्शन में आया था। एक सप्ताह से डाक्टरों की टीम लगातार गांव में नजर रख रही है। छह सितंबर को प्रखंड के सिरसा खेमकरण गांव में 3 दिनों के भीतर वायरल बुखार से तीन मासूम की मौत हुई और 20 बच्चे इसकी चपेट में आ गए थे। इसके बाद स्वास्थ्य महकमा सिरसा खेमकरण गांव में दौड़ने लगा था। चार दिनों तक डाक्टर अधिकारी गांव में जाकर कैंप कर जांच ही कर रहे थे और ग्रामीणों के बीच दवा का वितरण नहीं हो रहा था। ग्रामीणों की शिकायत पर दैनिक जागरण ने दवा वितरण नहीं होने की खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। अगले ही दिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा पीड़ित बच्चों के बीच दवा का वितरण किया गया था।
एक बच्ची में डेंगू की भी हो चुकी है पुष्टि
पीड़ित बच्चों का सैंपल लेकर कोरोना से कालाजार, डायरिया, डेंगू व किडनी तक की जांच की गई थी। जांच में एक बच्ची का रिपोर्ट डेंगू पाजिटिव आई थी। दो बच्चों के इसकी चपेट में होने की बात कहीं जा रही है। स्वास्थ्य विभाग को अभी सिरसा खेमकरण से राहत मिली ही थी कि रसूलपुर व हुस्सेपुर पंचायत में एकाएक दर्जनों डायरिया के मरीज मिलने से महकमा फिर एक बार सकते में आ गया था। जिसके बाद डाक्टरों द्वारा पूरी मुस्तैदी से लोगों का इलाज किया। 10 दिन में दो गंभीर समस्याओं का सामना, फिर भी डाक्टर व दवाओं की कमी
संसू, भेल्दी : अमनौर का स्वास्थ्य महकमा पिछले 10 दिनों के भीतर दो गंभीर समस्या से गुजरा है। दोनों जगहों पर अभी भी स्थिति पूरी तरह सामान्य नहीं हुई है। इसके बावजूद स्वास्थ्य महकमा के पास न तो पूरी दवाई का उपलब्धता है और न ही डॉक्टरों की ऐसे टीम है जो विकट स्थिति का सामना कर सकें। स्वास्थ्य विभाग के पास बच्चों के इलाज के लिए कोई भी शिशु रोग विशेषज्ञ नहीं है। सीएचसी में स्त्री रोग विशेषज्ञ की प्रतिनियुक्ति नहीं की गई है। एमबीबीएस चार डाक्टर हैं । जिनमें एक दंत चिकित्सक ही हैं। एमबीबीएस डॉक्टर जो मौजूद है उनमें डॉ बाबूलाल प्रसाद, डा. नृपेंद्र कुमार, दंत चिकित्सक रमन कांत और स्वास्थ्य प्रबंधक सरोज कुमारी है जो अभी छुट्टी पर गई है। स्थानीय लोगों के अनुसार अमनौर स्वास्थ्य केंद्र आयुष के चार डॉक्टरों के भरोसे ही चल रहा है। सीएससी के अधीन चार उप स्वास्थ्य केंद्र हैं
अमनौर सीएचसी के अधीन उप स्वास्थ्य केंद्र कोरेया, कटसा, झखड़ा,व लच्छी में चार उप स्वास्थ्य केंद्र बना हुआ है। अब जब मुख्यालय में डॉक्टर और दवाओं की कमी है तो उप स्वास्थ्य केंद्र का अंदाजा लगाया जा सकता है। सप्ताह में एक दिन भी अगर एएनएम भी बैठ जाएं तो ग्रामीणों के लिए बड़ी बात हो जाती है। -----------------
अमनौर सीएचसी में स्वास्थ्य सुविधाएं एक नजर में
- एक्स-रे की सुविधा नदारद।
- तीन फार्मासिस्ट की जगह एक।
- एक्स-रे तकनीशियन नहीं हैं।
- ड्रेसर नहीं।
- कंपाउंडर नहीं।
- ओटी असिस्टेंट नहीं।
- पैथोलाजी व लेब टेक्नीशियन नहीं।
- शिशु विशेषज्ञ नहीं।
- स्त्री रोग विशेषज्ञ नहीं।
- जीएनएम के 16 पद सृजित में उपलब्ध मात्र पांच।
- एएनएम के 58 सृजित पद में मात्र 29 उपलब्ध।
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- एक्स-रे व पैथोलाजिकल जांच की सुविधाएं नदारद, ओटी असिस्टेंट सहित पारा मेडिकल के कई पद रिक्त
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