प्रत्येक वार्ड की सफाई के लिए 93 हजार रुपये, फिर भी जहां-तहां गंदगी का अंबाद

सीतामढ़ी। नगर निगम में व्याप्त समस्या एवं विभिन्न योजनाओं में अनियमितता की शिकायतें मुख्यमंत्री के जनता दरबार में पहुंचाई गई हैं। शहर के वार्ड आठ के पार्षद मनीष कुमार मुख्यमंत्री के जनता दरबार में ये शिकायत लेकर पहुंचे। उन्होंने मुख्यमंत्री को आवेदन दिया है। आवेदन में उन्होंने बिदुवार समस्याओं एवं योजनाओं में भ्रष्टाचार की शिकायतों से अवगत कराया है। कहा है कि शहर स्थित गुदरी बाजार का आवंटन वार्ड एवं सशक्त कमेटी की अनुमति के बिना ही कर दिया गया। इसकी निविदा कराना जरूरी था लेकिन, नहीं किया गया। प्रत्येक वार्ड में करीब 93 हजार की राशि सफाई के लिए खर्च की जा रही है। इसकी जानकारी सभी पार्षदों को नहीं है। इस राशि का दुरुपयोग हो रहा है। शहर के प्रत्येक वार्ड में डोर-टू-डोर कूड़ा उठाव के लिए चार मजदूरों की बहाली आउटसोर्सिंग पर एजेंसी को करनी थी लेकिन एजेंसी चयन के 18 माह बीत जाने पर भी यह काम नहीं हो सका। प्रधानमंत्री आवास योजना में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। इसकी जांच जरूरी है। शहर के प्रमुख स्थलों पर सीसी कैमरा लगाने के लिए निविदा किया गया। लेकिन, यह सिर्फ कारिगल चौक से सरावगी चौक तक ही हो सका। इस मद में लाखों की राशि का गबन किया गया है। कैमरा लगाने के लिए चयनित स्थलों के बारे में वार्ड पार्षदों को भी जानकारी नहीं है। नगर निगम (पूर्व के नगर परिषद) द्वारा बहाल सफाई कर्मियों की उपस्थिति न के बराबर है। कर्मियों एवं अधिकारियों की मिली भगत से सिर्फ उपस्थिति बनाकर वेतन उठा लिया जाता है। जिस कारण शहर में सफाई व्यवस्था बेपटरी हो चुकी है। लाखों रुपये खर्च कर चलंत शौचालय की खरीद की गई। लेकिन, सफाई व मेंटेनेंस के अभाव में सड़क किनारे यत्र-तत्र धूल फांक रहा है। इसी तरह डस्टबीन का क्रय सरकार द्वारा निर्धारित राशि से अधिक भुगतान कर किया गया। इसकी गुणवत्ता घटिया थी। कुछ वार्डों में कर्मचारियों द्वारा वितरण किया गया। जबकि, अधिकतर वार्ड वंचित रह गए। आवेदन में वार्ड पार्षद ने कहा है कि नगर निगम में जितने भी प्रस्ताव लिए गए उनमें अधिकतर पर उपाध्यक्ष के हस्ताक्षर नहीं हैं। उपाध्यक्ष का हस्ताक्षर नहीं होना दर्शाता है कि कहीं न कहीं भारी पैमाने पर गड़बड़ी हो रही है। वार्ड पांर्षद ने मुख्यमंत्री से इस सिलसिले में आवश्यक कार्रवाई का आग्रह किया। आवेदन की प्रतिलिपि शहरी एवं नगर विकास विभाग के मुख्य सचिव व बिहार सरकार के प्रधान सचिव को भी दी गई है।

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