अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्ध्य आज

संवाद सूत्र, बिहारीगंज (मधेपुरा) : सूर्योपासना का महापर्व छठ के दूसरे दिन खरना को महत्वपूर्ण माना जाता है। खरना के दिन श्रद्धालुओं छठ पूजा की सारी तैयारियां प्रसाद आदि बनाकर रख लेते हैं। इसी दिन से छठ का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है। मंगलवार को छठव्रतियों ने खरना व्रत की परंपरा पूरी की। मान्यता है कि खरना के दिन व्रती पूरी निष्ठा और पवित्रता के साथ भगवान भास्कर की पूजा-अर्चना किया। वहीं गुड़ मिश्रित खीर और घी की रोटी का भोग लगाकर व्रतियों ने ग्रहण कर, स्वजनों और सगे- संबधियों के बीच खरना का प्रसाद वितरण किया। बताया जाता है कि खरना के दिन शांत वातावरण में व्रती प्रसाद ग्रहण करतीं है। इसलिए खरना के समय ध्यान रखा जाता है कि उस समय किसी प्रकार का शोर नहीं हो। इसके बाद से 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है। छठ पर्व के तीसरे दिन व्रतियों अस्ताचलगामी सूर्य को नदी और तालाब में खड़े होकर फल एवं कंद मूल से प्रथम अ‌र्घ्य अर्पित करते हैं। अंतिम दिन फिर नदियों और तालाबों में व्रतियों उदीयमान सूर्य को दूसरा अ‌र्घ्य अर्पित करते है। इसके बाद व्रती के बाद अन्न-जल ग्रहण करते हैं। छठ को लेकर बिहारीगंज प्रखंड क्षेत्र में साफ-सफाई से लेकर सुरक्षा और अन्य तैयारियां पूरी कर ली गई है। वहीं युवाओं की टोली अपने- अपने घाटों की साफ- सफाई रंग- रोगन करनें में जुटे है। हथिऔंधा में मु. शकील उर्फ पुन्ना ने लगभग आधा दर्जन घाटों पर साफ- सफाई और लाइट की व्यवस्था में जुटे है। विधायक निरंजन कुमार मेहता, सीओ नागेश कुमार मेहता एवं अन्य ने घाटों का लिया जायजा।


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