दिसंबर में एनएच 107 का कार्य होना था पूरा, अब तक हुआ है मात्र 17 प्रतिशत



संवाद सूत्र, मधेपुरा : एनएच को लेकर उदासीनता अब तक बरकरार है। कोसी में अगस्त 2019 को हुए जनांदोलन के बाद कार्य प्रारंभ तो हुआ, लेकिन कार्य बहुत धीमी गति से चल रहा है। इसी माह के अंत तक जहां महेशखूंट से लेकर पूर्णिया तक के एनएच 107 का कार्य पूर्ण होना था, लेकिन अब तक मात्र 17 प्रतिशत कार्य ही पूरा हुआ है। इधर, एनएच निर्माण कार्य नहीं हो पाने के कारण लोगों की जान सांसत में है। एनएच 107 कोसिवसियों के लिए नासूर बन चुका है। मधेपुरा से पूर्णिया व मधेपुरा से महेशखूंट तक जाने के नाम से ही लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते हैं। सड़क की बदहाली का आलम यह है कि लोग इस एनएच को छोड़कर ज्यादा दूरी वाले अन्य मार्गों के सहारे कहीं जाते हैं। एनएच 107 के कार्य को दो पैकेज में बांटा गया है। पैकेज वन के तहत महेशखूंट से लेकर मधेपुरा तक कि 90 किलोमीटर की सड़क है। वही पैकेज टू के तहत मधेपुरा से पूर्णिया तक कि 88 किलोमीटर की दूरी है। मधेपुरा से पुर्णिया के बीच मात्र 16 प्रतिशत ही कार्य हो पाया है। इसमे 156.47 करोड़ रुपया खर्च किया जा चुका है। वही महेशखूंट से लेकर मधेपुरा के बीच मात्र 17.70 प्रतिशत कार्य ही पूरा हो पाया है। अब तक इस सड़क में 152.17 करोड़ रुपया खर्च किया गया है।
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दो दशक से निर्माण की आस में है एनएच 107 एनएच 107 एवं 106 का शिलान्यास दो दशक पूर्व ही किया गया था। लेकिन अब तक इस सड़क का निर्माण कार्य पूरा नहीं जो पाया है। एनएच शिलान्यास के समय जो खुशी कोसीवसियों को मिली थी। बाद में वो खुशी अभिशाप में बदल गईं। एनएच के अलावे अगल बगल की सड़कें समय समय पर बनती भी रही लेकिन एनएच की स्थिति यथावत बनी रही। एनएच 107 के सड़क की दशा ऐसी है कि लोग इस रास्ते से यात्रा करने के नाम पर घबराते हैं। मधेपुरा से सहरसा तक कि यात्रा में लंबा समय लग जाता है। मधेपुरा से सहरसा के बीच की महज 23 किलोमीटर की दूरी तय करने में एक से डेढ़ घंटा का समय लगता है। वहीं मधेपुरा से पुर्णिया के बीच की 88 किलोमीटर की यात्रा भी तीन से चार घंटा में पूरी होती है। सड़क की जर्जरता के कारण मधेपुरा से लोग पुर्णिया जाने के लिए पिपरा, रानीगंज के रास्ते जाते हैं। इस सड़क की दूरी 60 किलोमीटर अधिक पड़ती है। कोट एनएच 107 की जर्जरता के कारण लोगों को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। मधेपुरा के लोगों व व्यवसायियों का सहरसा व पुर्णिया जाना आना लगा रहता है। सड़क की जर्जरता के कारण समय काफी अधिक लग जाया करता है। वहीं माल ढुलाई का खर्च भी जर्जर सड़क के कारण काफी लग जाता है। वहीं काफी तादाद में मरीज सहरसा व पुर्णिया जाते हैं। उन्हें भी जाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
मनीष सर्राफ
संयोजक
चैंबर आफ कामर्स,मधेपुरा

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