भटके राही नुक्कड़ नाटक का मंचन

संवाद सूत्र, झाझा(जमुई)। गांधी चौक पर मध निषेध को लेकर भटके राही नुक्कड़ नाटक का मंचन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत में एक शराबी व्यक्ति को दो पुत्र और एक पुत्री है। शराब के नशे में अपने घर के बर्तन जेवर-जेवरात यहां तक की घर को भी गिरवी रख देता है। वह जब शराब पीकर घर आता है तो न ही अपनी बेटी को पहचान पाता है और न ही अपने बेटे को पहचान पाता है। जब सेठ की भूमिका में नाट्य रूपांतरण की दूसरी कड़ी में कार्यक्रम पहुंचता है तब सेठ और सेठ का लठैत अपने उधार रुपये मांगने के लिए नाटक के पात्र बुधना के घर आता है और जब बुधना को घर में नहीं पाता है तो उसकी पुत्री को देख गलत नीयत से उसे बताता है कि तुम्हारे बाप ने तुम्हारे घर को गिरवी रख दिया है। अब तुम्हारे बाप ने कहा है कि शराब के बदले हम तुमको ले जाएं। लड़की रोती है, बिलखती है। फिर रोती लड़की पुलिस-प्रशासन से मदद की बात बताती है। इतने में लड़की का भाई आता है और सेठ को और उसके लठैत को हड़काता है। लड़की का छोटा भाई झूठी पढ़ाई करता था। कहीं न कहीं बुरा संगत में फंसकर वह भी शराबी बन जाता है और अपने शरीर को बीमारियों में झोंक इस दुनिया से चला जाता है। जब बुधना शराब के नशे में घर आता है बेटा और बेटी को छोटे भाई के मृत्यु पर विलाप करता देखता है तो उसकी बेटी बताती है कि उसका छोटा भाई मर गया लेकिन नशे में होने के कारण वह अपने बड़े बेटे को बोलता है कि ये मर नहीं सकता है और मरे हुए बेटे को जबरन शराब पिला जिदा करने की बात कहता है। फिर पुलिस को खबर की जाती है। पुलिस शराबी और शराब बेचने वाले सभी को जेल ले जाते हैं लेकिन इस कहानी या फिर नाटक को देख यह प्रतीत होता है कि कहीं न कहीं शराब समाज को और एक पूरा हंसता-खेलता सुखमय परिवार को गर्त में डाल सकता है। नुक्कड़ नाटक के दौरान एसएचओ राजेश शरण, एसआइ वीरभद्र सिंह, महिला कांस्टेबल, समाजसेवी गौरव सिंह राठौर, पूर्व चेयरमेन मुन्ना सिन्हा, चेंबर आफ कामर्स के सोनू बरनवाल, पूर्व नगर पंचायत उपाध्यक्ष शैलेश, सोनू वर्णवाल समेत दर्जनों दर्शक उपस्थित थे।

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