हृदयरोग से ग्रसित मलिका रानी और इरम आरजू को मिली नई जिदगी

संवाद सहयोगी, किशनगंज : संक्रमण काल में जिला प्रशासन एवं स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से लोगों के स्वास्थ्य पर ध्यान दे रहा है। इसी क्रम में जिले की दो बच्चे मलिका रानी और इरम आरजू को नई जिदगी मिली है। इन बच्चों के दिल में जन्म से ही छेद था। जिन्हें 23 अक्टूबर को सदर अस्पताल से पटना एयरपोर्ट के लिए एम्बुलेंस से भेजा गया। वहां से पुन: हवाई मार्ग द्वारा अहमदाबाद भेजा गया था। जहां विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम द्वारा हृदय में छेद से ग्रसित बच्चों का सफल इलाज किया गया। इन दोनों बच्चों में बहादुरगंज प्रखंड की 10 वर्षीय मलिका रानी और दिघलबैंक प्रखंड निवासी चार वर्षीय इरम आरजू हैं। सफल इलाज के बाद परिवार वालों की खुशी दोगुनी हो गई। यह जानकारी शनिवार को जिला कार्यक्रम प्रबंधक डा. मुनाजिम ने दी।


उन्होंने बताया कि बच्चों में होने वाले जन्मजात रोगों में हृदय में छेद होना एक गंभीर बीमारी है। एक अध्ययन के अनुसार जन्म लेने वाले 1000 बच्चों में से नौ बच्चे जन्मजात हृदय रोग से ग्रसित होते हैं। जिनमें लगभग 25 प्रतिशत नवजात बच्चों को प्रथम वर्ष में शल्य क्रिया की आवश्यकता रहती है। राज्य सरकार के सात निश्चय टू के तहत हृदय में छेद के साथ जन्मे बच्चों का नि:शुल्क इलाज किया जाता है। बिहार सरकार ने प्रशांति मेडिकल सर्विसेज एंड रिसर्च फाउंडेशन के साथ एमओयू पर हस्ताक्षर किया था। प्रशांति मेडिकल सर्विसेज एंड रिसर्च फाउंडेशन राजकोट एवं अहमदाबाद आधारित एक चैरिटेबल ट्रस्ट अस्पताल है। इसके द्वारा बाल हृदय रोगियों की पहचान कर मुफ्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। जबकि बच्चों की शुरुआती स्क्रीनिग से लेकर बच्चों के आने-जाने का खर्च बिहार सरकार वहन करती है।
आरबीएसके के जिला समन्वयक डा. ब्रहमदेव शर्मा ने बताया कि हृदय में जन्मजात छेद वाले बच्चों का इलाज अब बेहद आसान हो चुका है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत संचालित इस योजना में हृदय संबंधी गंभीर बीमारी से ग्रसित बच्चों के नि:शुल्क इलाज का प्रावधान है। सर्वप्रथम आरबीएसके की टीम ऐसे बच्चों की पहचान करती है। चिन्हित बच्चों की सूची वरीय संस्थान को भेजी जाती है। वहां काउंसिलिग के बाद बीमार बच्चों को इलाज के लिए बेहतर चिकित्सा संस्थान भेजे जाते हैं।

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