कोरोना के बाद पंचायत चुनाव ने गरीबों पर ढाया कहर

समस्तीपुर। लगातार दो साल तक कोरोना के कारण गरीबों के लिए संचालित योजनाओं पर असर पड़ा। कोरोना से से लोग उबरे तो पंचायत के निर्वाचित प्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त हो गया। इसके कारण पंचायत से भी उन्हें काम मिलना बंद हो गया। पंचायत चुनाव अब संपन्न हो चुके हैं। नवनिर्वाचित प्रतिनिधियों को शपथ ग्रहण कराकर उन्हें कार्य करने आदेश भी अब मिलने लगा है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि गरीबों को फिर से स्थानीय स्तर पर काम मिलना शुरू हो जाएगा।

बता दें कि सरकार की ओर से गरीबों के रोजगार के लिए कई तरह की योजनाएं संचालित की जा रही है। इसमें सबसे प्रमुख योजना मनरेगा है। इसके तहत गांव के मजदूरों को साल में एक सौ दिन काम मिलना है। लेकिन यह योजना धरातल पर सही रूप में कार्यान्वित नहीं हो पा रही है। पंचायत एवं प्रखंड स्तर पर मनरेगा से कार्य कराए जाते हैं। जिसमें मजदूरों को काम मिलता है। यह काम मिट्टीकरण, पौधारोपण, तालाब की उड़ाही, नहर की उड़ाही आदि में मिलता है। लेकिन पिछले दो साल से कागज पर भले ही कार्य चालू दिखाया जा रहा हो, लेकिन यह वास्तविकता से कोसों दूर है। इस साल करीब छह महीने तक लगातार बारिश हुई। इस वजह से खेतीबारी भी पूरी तरह प्रभावित हुई। इसका असर किसानों के साथ-साथ मजदूरों पर भी पड़ा। किसानों की जहां फसल मारी गई, वहीं मजदूरों को काम नहीं मिल सका। जीविका के माध्यम से महिलाओं को मिला रोजगार

हां, जीविका के माध्यम से महिलाओं को थोड़ा बहुत रोजगार जरूर मिल रहा है। स्वयं सहायता समूह के माध्यम से छोटे-मोटे रोजगार कर महिलाएं अपनी परिवार की गाड़ी को आगे खींच रही है। सबसे बड़ी बात यह है कि करीब एक साल से बालू की भी किल्लत रही। बालू मिलती भी है तो काफी महंगे रेट पर। ऐसे में निर्माण कार्य पर भी पूरी तरह से ब्रेक लगा रहा। इससे गांव के गरीब मजदूरों को सबसे ज्यादा असर पड़ा। सवारी ट्रेन बंद रहने से मजदूरों का छिन गया काम
इतना ही नहीं करीब डेढ वर्ष तक रेलवे ने सवारी गाड़ियों को पूरी तरह बंद करके रखा। इस वजह से जो शहर में रिक्शा चलाकर, ठेला खींचकर या फिर दुकानों में देहारी मजदूर के रूप में काम करते थे, उनका काम पूरी तरह से छूट गया। सरकार की कई योजनाओं पर भी पड़ा असर
सरकार की बहुत सारी योजनाएं संचालित होती है, जिससे मजदूरों को काम मिलता है। कोरोना के कारण सरकार की ढेर सारी योजनाओं को क्या तो बंद कर दिया गया, फिर फंड की कमी के कारण उसे स्थगित कर दिया गया। उदाहरण स्वरूप पिछले दो साल से मुसरीघरारी से समस्तीपुर तक करीब पांच किलोमीटर सड़क के चौड़ीकरण कार्य चल रहा है। अलकतरा के अभाव में इसका कार्य करीब छह महीने तक ठप रहा। जब अलकतरा उपलब्ध हुआ तो लगातार हो रही भारी बारिश से के कारण काम ठप हो गया। स्थिति यह है कि आज भी यह कार्य गति नही पा रही है। इतना ही नहीं जिले की अधिकांश सड़कों की हालत खस्ता है। लेकिन उन सड़कों का जीर्णोद्धार कार्य सरकार के द्वारा नहीं कराई जा रही है। परिणाम स्वरूप आमलोगों को तो दिक्कत हो ही रही है, मजदूरों को भी काम नहीं मिल रहा है। ऐसे में सरकार की ओर से चलाई जा रही गरीबी उन्मूलन की योजना का भी कोई खास असर नहीं दिख रहा है।

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