जिनकी आंचल में गूंजती बच्चों की किलकारी, हो रही भुखमरी की शिकार



मोतिहारी । इनकी कोई नहीं सुनता, क्योंकि ये ममता हैं। बच्चों की डिलीवरी कराने में अहम भूमिका निभानेवालीं ये ममता स्वास्थ्य विभाग की सबसे निचली इकाई से संबंध रखती हैं। शायद यही कारण है कि विभाग भी इनके मानदेय भत्ता की अदायगी में हमेशा ढुलमुल रवैया अख्तियार करता रहा है। सदर अस्पताल में कार्यरत सभी 40 ममता ने विभागीय पदाधिकारियों व कर्मियों की लालफीताशाही से आजिज आकर जिलाधिकारी को संयुक्त आवेदन दिया है। आवेदन में कहा गया है कि वर्ष 2021 के किसी भी महीने का मानदेय उन्हें अब तक नही मिल सका है। ऐसे में उन्हें भुखमरी के हालात से गुजरना पड़ रहा है। ममता ने संयुक्त रूप से दिए आवेदन में कहा है कि दिसंबर महीने में स्वास्थ्य समिति द्वारा कहा गया कि भुगतान के मद में राशि का आवंटन आ गया है। जबकि अब तक आश्वासन के अलावा भुगतान के नाम पर उन्हें फूटी कौड़ी भी नही मिल सका है। सिजेरियन का नही मिलता पैसा

सदर अस्पताल में कार्यरत सभी ममता का कहना है कि उनका अनुबंध वर्ष 2009 में हुआ था। तब से लेकर आज तक कभी भी सिजेरियन ऑपरेशन से जन्मे बच्चे के केस में उन्हें एक रुपया भी नही मिलता है। जबकि सामान्य डिलीवरी पर प्रति डिलीवरी 300 का भुगतान होता है। जो महीने में तकरीबन 4 से 5 हजार बनता है। लेकिन यह पैसा भी उन्हें पिछले कई महीनों से नही मिल सका है। आवेदन पर तकरीबन 16 ममता ने अपने हस्ताक्षर किए हैं। वर्जन
मामला संज्ञान में नहीं था। आवंटन उपलब्ध होगा तो जल्द ही भुगतान किया जाएगा
डॉ. अंजनी कुमार
सिविल सर्जन, पूर्वी चंपारण

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