बिजली के तार की चपेट में आने से गैंडे के मौत की संभावना

बगहा। एक मार्च को वीटीआर के मदनपुर जंगल से सटे गन्ने के खेत में नर गैंडे के शव मिलने के मामले में बिजली के तार के चपेट में आने से मौत की संभावना व्यक्त की जा रही है। हालांकि, पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही उसके मौत के कारणों का पता चल सकेगा।

सूत्रों की मानें तो वन्यजीव बिजली के तारों में फंसकर मर रहे हैं। जो जंगली सुअरों को रोकने के लिए लगाए जाते हैं। बिजली के तारों के उपयोग पर नियंत्रण बहुत •ारूरी है। वन्यजीव जंगली सुअरों के जाल में फंसकर मारे जाते हैं।
इसी तरह जंगली सुअर, नीलगाय को मारने के चलते गैंडा सहित अन्य वन्यजीवों को मारा जाना और उसे •ाहर देना आम हो चला है। यह चलन सबसे अधिक इस क्षेत्र में है। इस क्षेत्र में वन्यजीवों से फसल को सुरक्षित रखने के लिए खेतों में करंट लगाते हैं। कयास लगाया जा रहा है कि 28 फरवरी की मध्य रात्रि खेत में तार के माध्यम से करंट छोड़ा गया होगा। कहीं से गैंडा वहां पहुंच गया होगा और खेतों में लगे बिजली की तार के चपेट में आ जाने से उसकी मौत हुई होगी।

इस बाबत सीएफ नेशामणि ने बताया कि गैंडे की मौत की सभी संभावित कारणों की जांच की जा रही है। जिसमें करंट लगने से गैंडे की मौत की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है। हालांकि मृत गैंडे के अंग को पोस्टमार्टम हेतु बरेली एवं देहरादून भेजा गया है। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के असल कारणों का पता चल सकेगा। इस मामले में जो कई भी दोषी पाया गया तो उसके खिलाफ वन्य जीव अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी। वन्य जीवों की सुरक्षा को वीटीआर प्रशासन गंभीर वीटीआर में वन्य प्राणियों को बचाने के लिए वन प्रशासन गंभीर है। जंगल में शिकारियों के बाद वन्य प्राणियों के लिए अब सबसे बड़ा खतरा करंट बनता जा रहा है। जंगलों के आसपास रहने वाले ग्रामीण अपनी फसलों की सुरक्षा के लिए करंट लगाते हैं। जिसकी चपेट में आने से कई वन्य प्राणियों की मौत हो चुकी है। लेकिन इससे बचाव के लिए वन प्रशासन द्वारा कोई सार्थक प्रयास नहीं किया जा रहा है। वीटीआर 900 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। नेपाल एवं यूपी से भी इसकी सीमाएं लगती हैं। आबादी क्षेत्र से घिरा होने के कारण न सिर्फ मानव-वन्यजीव संघर्ष, बल्कि अवैध शिकार दृष्टि से भी बेहद संवेदनशील है। राइनो हैबिटेट सेंटर बनाने की थी योजना
काजीरंगा नेशनल पार्क की तर्ज पर वीटीआर में गैंडों का नया आशियाना बनाने की योजना पर पानी फिरता नजर आ रहा है। वाल्मीकिनगर में जंगल सफारी करने आने वाले पर्यटकों को वन महकमा के द्वारा दुधवा नेशनल पार्क की तर्ज पर वाल्मीकि नगर में भी गैंडे का दीदार कराने की योजना है। मदनपुर क्षेत्र के पांच किलोमीटर दायरे में वाल्मीकि राइनो हैबिटेट सेंटर बनाने की योजना है। लेकिन अब इस योजना को ग्रहण लगता प्रतीत हो रहा है।

अन्य समाचार