वर्ग पंचम व अष्टम के प्रश्नपत्र को लेकर उठ रहे सवाल

संवाद सूत्र, पुरैनी (मधेपुरा) : शिक्षा विभाग के अजब-गजब खेल से जहां छात्र व अभिभावक अचंभित हैं। फिलहाल 2020 के प्रश्नपत्र पर गुरुवार को वर्ग पंचम व अष्टम की वार्षिक परीक्षा संपन्न हो गई। इस बीच छात्रों व अभिभावकों के बीच सवाल उठने लगे हैं। मालूम हो कि प्रखंड क्षेत्र के विद्यालयों में आवश्यकतानुसार प्रश्नपत्र उपलब्ध नहीं कराए जाने से सभी विद्यालयों के प्रधानाध्यापक व शिक्षकों के बीच परीक्षा के दौरान काफी अफरा-तफरी का माहौल देखा गया। प्रखंड क्षेत्र के अधिकांश विद्यालयों में जहां ब्लैकबोर्ड पर प्रश्नपत्र लिखकर परीक्षार्थियों से कापी पर उत्तर लिखवाया गया। वहीं दर्जनों विद्यालयों में प्रधानाध्यापक द्वारा काफी कम संख्या में उपलब्ध कराए गए प्रश्नपत्रों का फोटो कापी कराकर जैसे-तैसे परीक्षा संचालन के औपचारिकता का निर्वहन किया गया। इस बाबत दर्जनों विद्यालय के प्रधानाध्यापकों ने बताया कि पांचवीं व आठवीं कक्षा के लिए नामांकित छात्र-छात्राओं से काफी कम संख्या में 2020 में छपी प्रश्नपत्र उपलब्ध कराया गया था। ऐसे में सभी परीक्षार्थी को प्रश्नपत्र नहीं मिल पाने के कारण ब्लैकबोर्ड पर प्रश्न लिखकर व फोटो कापी कराकर जैसे-तैसे परीक्षा ली गई है। वहीं दूसरी ओर छात्र-छात्रा सहित अभिभावक सरकारी विद्यालयों में वर्ग पांच व आठ की परीक्षा वर्ष 2020 में प्रकाशित प्रश्नपत्र से लिए जाने पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है। अधिकांश विद्यालय के प्रधानाध्यापकों ने बताया कि उन्हें विभाग से जो प्रश्नपत्र मिला उसके अनुसार परीक्षा ली गई है। कोरोना काल से पहले छपे प्रश्नपत्र से दो साल बाद परीक्षा लिए जाने से छात्रों के साथ अभिभावक भी आश्चर्यचकित हैं। अभिभावकों का कहना है कि एक तो बीते दो वर्ष से कोरोना महामारी के कारण सभी विद्यालयों में पठन-पाठन कार्य बिल्कुल ठप कर दिया गया था। वहीं इस बार विद्यालय खुलने के उपरांत दो वर्ष पूर्व के छपी प्रश्न पत्र पर ली गई परीक्षा जहां कई सवाल खड़ा कर सरकारी व विभागीय दावे की पोल खोल कर रख दी है। वहीं सरकारी विभाग के शिक्षा के प्रति गंभीरता व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के दावे पर भी प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। इस बाबत बीआरसी में पदस्थापित बीआरपी ममता कुमारी ने बताया कि बिहार शिक्षा परियोजना के निर्देशा पर वर्ष 2020 में छपी प्रश्नपत्र से परीक्षा ली गई है। कोरोना महामारी के कारण वर्ष 2020 व 2021 में परीक्षा नहीं ली गई थी। प्रश्नपत्र को प्रखंड संसाधन केंद्र में सुरक्षित रखा गया था। विभागीय निर्देशानुसार बच्चों को कोरोना काल के दौरान दोनों वर्ष बिना परीक्षा दिए ही अगले वर्ग में वर्गोतीर्ण कर दिया गया था। इधर दो वर्ष के दौरान पाठ्यक्रम में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं किया गया है। इसलिए वर्ष 2020 में छपी प्रश्नपत्र पर ली गई परीक्षा से किसी को आपत्ति नहीं होनी चाहिए।


अन्य समाचार