नियमित आपूर्ति के बाद भी उपभोक्तओं पर है 24.5 करोड़ का बकाया

संवाद सूत्र, मधेपुरा : जिले में अपेक्षित रूप से संतोषप्रद बिजली की आपूर्ति की जा रही है। बावजूद इसके आम उपभोक्ताओं समेत विभागीय स्तर से बिजली बिल का भुगतान समय पर नहीं किया जा रहा है। यही कारण है कि वित्तीय वर्ष के अंतिम माह यानी मार्च के पहले सप्ताह तक आम उपभोक्ताओं के पास 21 करोड़ तो विभागीय कार्यालय व पदाधिकारियों के आवास पर 3.5 करोड़ रुपये बिजली बिल बकाया है। विभाग द्वारा निर्धारित 16 करोड़ रुपये के लक्ष्य को पूरा करने के लिए बिजली विभाग के पदाधिकारियों ने सारी ताकत झोंक दी है। यहां तक की बिजली विभाग के कार्यपालक अभियंता अमित कुमार के साथ उनकी टीम के सदस्य गांव-गांव जाकर उन लोगों के बिजली कनेक्शन काट रहे हैं। दो हजार रुपये से अधिक के बकायेदारों का भी बिजली कनेक्शन काटे जा रहे हैं। नगर जेई सुशील कुमार ने बताया कि अभी तक बिजली का बिल जमा नहीं करने वाले 350 उपभोक्ताओं के कनेक्शन काट दिए गए हैं। चोरी से बिजली जलाने वाले एक सौ से अधिक उपभोक्ताओं के खिलाफ केस किया गया है।


उन्होंने बताया कि यह अभियान जारी रहेगा। बिजली विभाग के राजस्व पदाधिकारी राजेश कुमार ने बताया कि मधेपुरा व उदाकिशुनगंज डिवीजन में चोरी से बिजली जलाने वाले उपभोक्ताओं पर लगभग 18 लाख रुपये जुर्माना किया गया था। इसमें से 11 लाख रुपये वसूली कर ली गई है।
जिले में प्रतिदिन 2.60 करोड़ यूनिट बिजली की होती है खपत
राजस्व पदाधिकारी ने बताया कि जिले में हर रोज औसतन 2.60 करोड़ यूनिट बिजली की खपत हो रही है। इसमें 1.80 करोड़ यूनिट मधेपुरा व 80 लाख यूनिट उदाकिशुनगंज डिविजन के उपभोक्ता खर्च कर रहे हैं। विभाग आवश्यकता अनुसार बिजली की आपूर्ति कर रही है। बावजूद इसके मधेपुरा डिवीजन में चल रहे विभागीय कार्यालय पर 2.5 व उदाकिशुनगंज डिवीजन के कार्यालयों पर लगभग एक करोड़ रुपये का बकाया है। इतना ही नहीं मधेपुरा के उपभोक्ताओं पर लगभग 13.5 करोड़ व उदाकिशुनगंज के आम उपभोक्ताओं पर लगभग 7.5 करोड़ रुपये बिजली बिल बकाया है। बिजली विभाग ने 16 करोड़ से अधिक रुपये की वसूली का लक्ष्य इस वित्तीय वर्ष में निर्धारित किया है।
1.5 लाख बीपीएल उपभोक्ता बिगाड़ रहे बिजली विभाग के वसूली का गणित जानकारी के अनुसार, जिले में बीपीएल कार्ड धारक 1.5 लाख बिजली के उपभोक्ता हैं। बिजली विभाग का अधिकांश उपभोक्ता पर बिल बकाया है। सरकार द्वारा इन उपभोक्ताओं को सब्सिडी भी दी जा रही है। यानी आम लोगों को सात रुपया प्रति यूनिट की दर से बिजली बिल जमा करना पड़ रहा है। बीपीएल कार्ड धारकों को केवल 2.20 रुपये प्रति यूनिट बिल जमा करना पड़ता है। शेष 4.80 रुपये सब्सिडी दी जा रही है। बावजूद बिल जमा नहीं किया जा रहा है। बिल बकाया रहने के बावजूद विभागीय पदाधिकारी उनके घरों का कनेक्शन काटने का हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।
समस्याओं को नहीं सुलझा पा रहा विभाग
जिला मुख्यालय के वार्ड संख्या 21 के नियमित बिजली बिल दाता उपभोक्ता गजेंद्र कुमार, शेशव कुमार, मनोज कुमार, रवि कुमार आदि का कहना है कि वे लोग नियमित रूप से बिजली बिल का भुगतान करते आ रहे हैं, लेकिन विभागीय पदाधिकारी उनकी समस्याओं के निदान के प्रति असंवेदनशील है। उन लोगों को क्षतिग्रस्त पोल के सहारे बिजली की आपूर्ति की जाती है लिहाजा पोल पर उलझे खुले तारों से बिजली आपूर्ति बाधित होती रहती है। बिजली खराब होने की स्थिति में प्राइवेट मिस्त्री से काम करना पड़ता है जिसे हर बार 300-500 रुपये तक देना पड़ता है। जेई ने बताया कि जिला मुख्यालय में 11 मिस्त्री का पद सृजित है। इसमें से केवल तीन मिस्त्री कार्यरत हैं। बाकी काम मानव बल से लिया जाता है।

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