दीवारों पर लिखे जा रहे स्वच्छता स्लोगन, शहर में पसरी है गंदगी



संवाद सूत्र, मधेपुरा : लोगों को साफ-सफाई के प्रति जागरूक करने के लिए दीवारों पर स्वच्छता संबंधित स्लोगन लिखे जा रहे हैं। स्वच्छता के फायदे बताए जा रहे हैं, लेकिन शहर में कचरे का अंबार लगा हुआ है। खासकर नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड संख्या छह स्थित पुराना बस स्टैंड पर कचरे के ढेर से होकर गुजरने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। शहर की मुख्य सड़कों व मोहल्लों की सड़कों की सफाई तो हर रोज की जा रही है, लेकिन कई स्थान ऐसे हैं जहां हर रोज कचरा का ढेर लगा रहता है। शहर में डंपिग स्पाट नहीं होने के कारण लोग जहां-तहां कचरों को फेंक कर शहर में गंदगी फैला रहे हैं। आलम यह कि हर माह शहर की सफाई के लिए एक एनजीओ को 20 लाख रुपये का भुगतान किया जाता है। बावजूद इसके बस स्टैंड जैसे सार्वजनिक स्थान पर लगे कचरे का ढेर इस बात का सबूत है कि नगर परिषद के कर्मचारियों व पदाधिकारियों द्वारा शहर का सर्वेक्षण नहीं किया जाता है। शहर वासियों का कहना है कि स्वच्छता सर्वेक्षण में रैंकिग पाने के लिए साफ-सफाई न हो बल्कि धरातल पर शहर को स्वच्छ सुंदर बनाया जाए तभी सरकार का स्वच्छ मिशन अभियान पूर्णरूप से सफल हो पाएगा। साफ-सफाई की अच्छी तरह से निगरानी की भी जरूरत है। नगर परिषद का दावा : शहर की सारी सड़कें व गलियां हैं चकाचक नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी अजय कुमार की माने तो 50 हजार से एक लाख की आबादी वाले शहरों में मधेपुरा नगर परिषद को पूरे देश में 49वां राज्य अंतर्गत 57वां स्थान प्राप्त हुआ था। इस बार भी तैयारी शुरू की गई है। मुख्य सड़कों समेत मोहल्लों की सड़कों की साफ-सफाई हर रोज की जा रही है। स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए दीवारों पर स्लोगन लिखाए जा रहे हैं। इतना ही नहीं नगर परिषद का दावा है कि शहर की सारी सड़कें व गलियां चकाचक है।
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डंपिग स्पाट की नहीं की गई है व्यवस्था नगर परिषद अंतर्गत 26 वार्ड हैं। इसमें कई मोहल्लों में ड्रेनेज सिस्टम का हाल बदहाल है तो कई मोहल्लों में सड़क पर ही कचरा डंप किया जाता है। इससे गंदगी फैली रहती है। नगर परिषद ने पूर्व में कचरा डंपिग स्थान के लिए पश्चिमी बाइपास के निकट जमीन चिह्नित कर उसके अधिग्रहण की दिशा में कार्रवाई की थी, लेकिन गुजरते समय व नगर परिषद में व्याप्त आपसी गुटबाजी के कारण डंपिग स्पाट का निर्माण नहीं हो सका। यही कारण है कि नगर परिषद से गंदगी फैलाने वालों से घोषित दंड की राशि की भी वसूली नहीं की जा रही है। कोट शहर की सफाई में हर माह करीब 20 लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं। सड़कों समेत मोहल्लों की सफाई हर रोज की जा रही है। जहां तक पुराने बस स्टैंड पर फैले कचरे का सवाल है तो इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। अगर इससे संबंधित तस्वीर मिल जाए तो उसे शीघ्र की सफाई कराई जाएगी। स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 को सफल बनाने के लिए आम लोगों की सहभागिता बहुत जरूरी है। बेहतर रैंकिग प्राप्त करने के लिए हर तरह का प्रयास किया जा रहा है। जागरूकता कार्यक्रम को बढ़ावा दिया जा रहा है। आम लोगों से अपील है कि साफ-सफाई में सहयोग करें।
-अजय कुमार
कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद, मधेपुरा

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