टेढी खीर साबित हो रहा औषधि नियंत्रण कार्यालय से लाइसेंस लेना



मोतिहारी । जिला औषधि नियंत्रण कार्यालय इन दिनों दलालों के चंगुल में फंसा है। इस कारण यहां से दवाओं के थोक अथवा खुदरा लाइसेंस हासिल करना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। सूत्रों की मानें तो अगर आपको किसी भी तरह का लाइसेंस लेना है तो कार्यालय जाने से शायद हीं आपका कार्य हो। लेकिन बिचौलियों की मदद से यही कार्य आराम से हो सकता है। लाइसेंस लेने की जुगत में लगे एक व्यक्ति ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि लाइसेंस के लिए जब कार्यालय में ऑनलाइन आवेदन के संदर्भ में पड़ताल करने गया तो उसे बरगला कर भेज दिया गया। बाद में एक बिचौलिये के मार्फत अब उसका काम आसानी से हो रहा है। सूत्रों की मानें तो विभाग के एक सेवानिवृत कर्मी के साथ हीं दवा व्यवसाय से जुडे कुछ लोग भी इस काम में बिचौलिये की भूमिका निभाते हैं। जबकि संबंधित अधिकारी के पास अगर कोई सीधे लाइसेंस संबंधित कार्य के लिए जाता है तो काम होने की काफी कम संभावना होती है।

20 से 50 हजार तक की हो रही वसूली : सूत्रों की माने तो थोक बिक्रेता लाइसेंस के लिए ये बिचौलिए लोगों से 20 से 50 हजार तथा खुदरा बिक्रेता के लिए एक लाख रुपये तक वसूलते हैं। वसूली के बल पर पूरे कार्य को इस तरह अंजाम दिया जाता है कि कहीं से भी चूक की गुंजाइश नहीं रहे। पैसे का लेन-देन भी कार्यालय के बाहर हीं किया जाता है। कई बार तो मंदिर परिसर अथवा खुले मैदान में सेटिग की जाती है। सुगौली के एक व्यक्ति की माने तो पिछले दिनों जब वह थोक बिक्रेता का लाइसेंस लेने के बाबत कार्यालय गया तो बताया गया कि फिलहाल थोक बिक्रेता का लाइसेंस नहीं दिया जा रहा है। जबकि, एक बिचौलिये से बात हुई तो वह लाइसेंस दिलवाने को तत्काल तैयार हो गया। वर्जन
दवाओं व्यापार का लाइसेंस लेने के लिए सभी कागजात ऑनलाइन करने का प्रावधान है। ऐसे में गड़बड़ी नहीं की जा सकती है। बिचौलियों के बारे में जानकारी नहीं है। जो भी तय मापदंड पूरा करते हैं उनको लाइसेंस दिया जाता है।
शिवानी
सहायक औषधि नियंत्रक, पूर्वी चंपारण
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