नवरात्र के नवमी को कुमारी कन्या पूजन से होती है सभी मनोकामना पूर्ण

संवाद सूत्र,पुरैनी (मधेपुरा): वासंतिक नवरात्र में मां दुर्गा की आराधना के साथ कन्या पूजन से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है। नवरात्र में कुंवारी कन्या को घर बुला कर भोजन अवश्य करानी चाहिए। ऐसी मान्यता है कि भोजन कराने के बाद कन्या का पांव छूकर आशीर्वाद लेने से हर मनोकामना पूर्ण होती है। वासंतिक नवरात्र के अवसर पर कन्या पूजन की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए पंडित आशुतोष झा ने कहा कि कन्या पूजन में एक वर्ष वाली कन्या को कदापि शामिल नहीं करना चाहिए। क्योंकि एक वर्ष वाली कन्या गंध एवं भोग आदि वस्तुओं के स्वाद से बिल्कुल अनभिज्ञ रहती है। कुमारी कन्या वही कहलाती है जो कम-से-कम दो वर्ष की हो चुकी है। दो वर्ष की कन्या से पूजन का विधान माना जाता है। कन्या पूजन से होनेवाले फल की प्राप्ति तथा विभिन्न उम्र की कन्याओं के नाम का विस्तार पूर्वक चर्चा करते हुए आचार्य ने कहा कि दो वर्ष वाली कन्या कौमारी,तीन वर्ष वाली त्रिमूर्ति,चार वर्ष वाली कल्याणी, पांच वर्ष वाली रोहिणी,छह वर्ष वाली कालिका, सात वर्ष वाली चंडिका,आठ वर्ष वाली शाम्भवी,नौ वर्ष वाली दुर्गा एवं दस वर्ष वाली कन्या सुभद्रा कहलाती है। शास्त्रों में इस से ऊपर की अवस्था वाली कुमारी कन्या का पूजन दुर्गा उपासना में निषेध माना गया है। पुजारी जाटेश्वर ठाकुर ने बताया कि इन नौ कन्याओं के पूजन से अलग- अलग फलों की प्राप्ति होती है। कौमारी के पूजन से घन,आयु,बल,बुद्धि की प्राप्ति होती है। दुख व दारिद्रय के शमन के लिए दो वर्षवाली कुमारी कन्या की पूजा करनी चाहिए। त्रिमूर्ति की पूजन से धर्म,अर्थ व कामना की सिद्धि होती है। साथ ही धन-धान्य का आगमन एवं पुत्र-पुत्रों का संवर्धन भी होता है। संपूर्ण कामना पूर्ण करने वाली कुमारी कल्याणी की पूजन से विद्या,विजय,राज्य व सुख पाने की अभिलाषा पूर्ण होती है। रोग नाश के लिए रोहणी की आराधना करनी चाहिए। शत्रु का शमन करने के लिए कालिका की भक्तिपूर्वक आराधना करनी चाहिए। कुमारी कन्या चंडिका की पूजा से ऐश्वर्य एवं धन की प्राप्ति होती है। किसी को मोहित करने तथा संग्राम युद्ध में विजय पाने के लिए भगवती शाम्भवी की पूजा करनी चाहिए। किसी कठिन कार्य को पूरा करने के लिए,सिद्धि या दुष्टों का संहार करना हो तो दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। इनकी भक्तिपूर्वक पूजा करने से परलौकिक सुख भी सुलभ हो जाता है। संपूर्ण मनोकामना की सफलता एवं मोक्ष की प्राप्ति के लिए दस वर्षीय कुमारी कन्या सुभद्रा की उपासना करनी चाहिए।


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