वारिसेला- जोस्टर वायरस के संक्रमण से होता है चेचक

जागरण संवाददाता, बिहारशरीफ : गर्मियों के महीनों में होने वाले कुछ ऐसी बीमारियां हैं, जिनके होने से लोग घबरा जाते हैं। चेचक एक ऐसी ही बीमारी है जिसका ज्यादातर संक्रमण बच्चों के शरीर पर देखने को मिलता है। यह वारिसेला-जोस्टर वायरस के संक्रमण से होता है। ससमय चिकित्सीय प्रबंधन नहीं होने से यह जानलेवा भी साबित हो सकता है।

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चेचक को चिकनपाक्स के नाम से भी जाना जाता है
चेचक को चिकनपाक्स के नाम से भी जानते हैं। ये बीमारी दो तरह की होती हैं। पहली छोटी माता यानी छोटी चेचक और दूसरी बड़ी माता यानी बड़ी चेचक। इस बीमारी में शरीर के ऊपर लाल रंग के दाने निकल आते हैं, जिनमें खुजली और दर्द दोनों होता। इसके अलावा इस बीमारी में व्यक्ति को बुखार भी आता है। साथ ही कमजोरी होना, शरीर में दर्द होना, कुछ भी अच्छा ना लगना जैसी कई अन्य चीजें होती हैं। इन दोनों में ही शरीर के ऊपर दाने निकलते हैं। लेकिन दोनों में अंतर ये है कि जहां बड़ी चेचक में बड़े दाने, तो वहीं छोटी चेचक में छोटे दाने निकलते हैं। इसी से इसे पहचाना जा सकता है। इसके अलावा छोटी चेचक के समय उसके होने वाले दाने छोटे होते हैं जो कि बीच में से फटते नहीं हैं, बल्कि सीधे सूख जाते हैं। अमूमन छोटी चेचक बच्चों को होती है। वहीं, बड़ी चेचक के समय शरीर पर बड़े दाने होते हैं। ये बीच में से फट जाते और फिर सूखकर इनकी पपड़ी उतर जाती है। चेचक के उपचार

चेचक की बीमारी में अस्पताल में दवाएं व इलाज उपलब्ध है। डाक्टर से सलाह जरूर लें। साफ सफाई के साथ कई घरेलू उपचार करके भी इससे बचा जा सकता है। इसमें नीम को बड़ा असरदार माना गया है। नीम को नहाने वाले पानी में डालकर उबाल लें और फिर इस पानी से रोगी को नहलाएं। ऐसा करना चेचक की बीमारी में काफी लाभदायक होता है। ----------------------- निम्नलिखित बातों का रखें ध्यान - नाखूनों को छोटा और साफ रखें
-इसे खरोंचने के बजाय त्वचा को सहलायें या थपथपाएं - रात में सूती दस्ताने पहनें
- ठंडे या गुनगुने पानी में स्नान करें - ढीले, चिकने सूती कपड़े पहनें

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