88 साल बाद मिथिलांचल से जुड़ेगा सीमांचल

मधुबनी । झझारपुर-कुपहा (38 किलोमीटर) रेलखंड का केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव वीडियो काफ्रेंसिंग से शनिवार को लोकार्पण करेंगे। वे हरी झडी दिखाकर झझारपुर से सहरसा के लिए डीएमयू ट्रेन रवाना करेंगे। इसके साथ ही सीमाचल से मिथिलाचल का 88 साल बाद रेल नेटवर्क से सीधा जुड़ाव होगा।

मिथिलाचल को सीमाचल से जोड़ने वाला यह रेलखंड 1934 से बंद है। उस साल तक दरभंगा से सहरसा तक रेल परिचालन होता था। भूकंप के कारण कोसी पुल क्षतिग्रस्त होने से 1934 के बाद दरभंगा से निर्मली तक ही रेल परिचालन हो रहा था। इसके आगे निर्मली से कुपहा होते हुए सहरसा तक रेल परिचालन ठप था। कोसी पुल तैयार होने के बाद एक बार फिर दरभंगा से सहरसा तक सीधी रेल सेवा की शुरुआत हो जाएगी। इस रेलखंड को फिर से चालू करने के लिए 2012 में आमान परिवर्तन किया गया था।

छह साल बाद रेल नेटवर्क से जुड़ेगी 20 लाख की आबादी : इसके बाद झंझारपुर से निर्मली तक 32 किमी में 2016 में आमान परिवर्तन का काम शुरू हुआ। निर्मली से कुपहा तक छह किमी में नई रेललाइन बिछाई गई। कोसी पर महासेतु का निर्माण हो चुका है। इस रेलखंड के चालू होने से मधुबनी की करीब 20 लाख की आबादी छह साल बाद एक बार फिर रेल नेटवर्क से जुड़ेगी। अभी रेलमार्ग से सहरसा जाने के लिए मधुबनी के लोगों को वाया दरभंगा करीब सात घटे का सफर करना पड़ रहा है। इस रेलखंड के चालू होने से वे झझारपुर से सवारी गाड़ी से करीब पाच घटे व एक्सप्रेस से दो घटे में सहरसा पहुंच सकेंगे।
पैसे की होगी बचत : अभी झझारपुर से सहरसा जाने के लिए सवारी गाड़ी से 50 रुपये, जबकि एक्सप्रेस से 85 रुपये का टिकट लेना पड़ता है। नए रेलखंड से झझारपुर से 25 रुपये में सवारी गाड़ी एवं 50 रुपये में एक्सप्रेस से सहरसा पहुंचा जा सकेगा। अभी झझारपुर से सहरसा की दूरी रेलमार्ग से 217 किमी है। इसके चालू होने से 123 किमी रह जाएगी। इस रेलखंड के चालू होने से अंतरजिला व्यापार बढ़ेगा। अभी लोगों को मधुबनी से सहरसा तक रेल से माल भेजने में काफी खर्च करना पड़ता है। यह कम होगा।
456 करोड़ रुपये किए गए हैं खर्च : 38 किमी लंबे रेलखंड में झंझारपुर-निर्मली नव आमान परिवर्तित रेलखंड (32 किमी) तथा निर्मली-आसनपुर कुपहा नई रेल लाइन (छह किमी) शामिल है। यह परियोजना 206 किलोमीटर लंबी सकरी-लौकहा बाजार-निर्मली एवं सहरसा-फारबिसगंज आमान परिवर्तन परियोजना का भाग है। इसकी कुल स्वीकृत लागत 1584 करोड़ रुपये है। साथ ही 491 करोड़ की लागत से कोसी मेगाब्रिज का निर्माण किया गया है, जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 18 सितंबर, 2020 को देश को समर्पित कर चुके हैं। झंझारपुर से कुपहा तक 38 किलोमीटर का कार्य 456 करोड़ की लागत से पूरा किया गया है।

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