नहर की सफाई के नाम पर फर्जीवाड़ा, लाखों रुपये का गबन



संवाद सूत्र, कुमारखंड (मधेपुरा) : मनरेगा योजना में अनियमितता थमने का नाम नहीं ले रहा है। प्रखंड के बिशनपुर सुंदर पंचायत में योजना के तहत नहर की सफाई के नाम पर लाखों रुपये का फर्जीवाड़ा सामने आया है। कार्यक्रम पदाधिकारी (मंनरेगा) सहित कनीय अभियंता, पंचायत तकनीकी सहायक व मुखिया की मिलीभगत से पंचायत में अनुपयोगी नहर व नाले के घासों की सफाई कर फर्जी मास्टररोल में हाजिरी भरकर राशि की निकासी कर ली गई है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में मनरेगा योजना के तहत पंचायत से गुजरने वाली विभिन्न नहरों की सफाई, भूमि सुधार जैसे कार्य कराए गए हैं, जबकि रानीपट्टी प्रशाखा नहर को छोड़ किसी नहर व माईनर के क्षतिग्रस्त हो जाने के साथ-साथ अतिक्रमण कर आवास निर्माण व काटकर जमीन में मिला देने से जल संचरण का कार्य नहीं हो पा रहा है। इसी नहर के अवशेष को विभिन्न भाग की सफाई कराकर लोगों की फर्जी हाजरी डालकर लाखों रुपये की राशि गबन कर लिया गया। आश्चर्य की बात यह है कि कई ऐसे नाले व वीसी की सफाई कराई गई है जहां किसी तरह पानी पहुंच नहीं सकता है। यानि वैसे नाला का जुड़ाव नहर से ही नहीं। इतना ही नहीं कई स्थानों पर कई कई फीट तक गढ्डे बने हुए हैं। ऐसे नहर-नाले के घास साफ कराकर लोगों की हाजिरी भर दी गई है। कई ऐसे लोग हैं, जो गांव में रहते ही नहीं हैं।

फर्जी हाजिरी भरकर निकाल लिए गए रुपये पूरे मामले में प्रथम दृष्टया तो मस्टर रोल में रोजगार सेवक द्वारा अपने चहेतो परिवार के व अन्य करीबी लोगों की फर्जी हाजिरी भरकर लाखों रुपए की फर्जी निकासी की गई है। वहीं दूसरी ओर जो मजदूर वास्तव में मनरेगा के तहत मजदूरी किए हैं, उनकी हाजरी भी काटी गई है। फर्जी लोगों की हाजरी का पूरा भुगतान किया गया है।
कार्यालय में बैठकर योजना की दी जा रही स्वीकृति सिचाई विभाग के वर्षों से बंद पड़ी नहरों की गाद सफाई व मरम्मत का कार्य के पूर्व कार्यक्रम पदाधिकारी व कनीय अभियंता स्थल की स्थिति का अवलोकन नहीं करते हैं। इसका लाभ स्थानीय जन प्रतिनिधि व बिचौलिये उठा कर अनुपयोगी योजना चलाकर योजना राशि गबन कर जाते हैं। -ग्रामीणों में पनप रहा आक्रोश एक ओर अनुपयोगी योजना तो दूसरी तरफ इन फर्जी मजदूरों की हाजरी के चलते ग्रामीणों में आक्रोश पनप रहा है। ऐसे मामले में वास्तविक मजदूरों की मजदूरी भी काट ली जाती है। मनरेगा योजना के लाखों रुपये का गबन व फर्जीवाड़ा लेकर ग्रामीणों व मजदूरों के मन में आक्रोश देखा जा रहा है। ग्रामीण जिला पदाधिकारी व उप विकास आयुक्त के साथ साथ मुख्यमंत्री से सीधे मिलकर उक्त पूरे मामले की शिकायत करने की तैयारी में हैं। कोट सिचाई विभाग द्वारा अनापत्ति प्राप्त कर योजना संचालित की जाती है। विभाग को कोई आपत्ति नहीं है तो ग्रामीणों को भी आपत्ति नहीं करना चाहिए। ग्रामीण का विरोध होगा तो इस योजना को बंद कर देंगे। -दिनेश कुमार मांझी, कार्यक्रम पदाधिकारी, मनरेगा, कुमारखंड

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