दो साल में दोगुनी हुई मक्के की कीमत, गेहूं को पछाड़ा

शिवहर। समय के साथ लोगों के खानपान का तौर-तरीका भी बदल रहा है। अब लोग मोटे अनाज को तरजीह दे रहे हैं। गेहूं के आटे की जगह मक्के से बने खाद्य पदार्थ को भोजन में शामिल कर रहे हैं। ऐसे में मक्के की मांग बढ़ने से कीमत ने भी रफ्तार पकड़ ली है। दो साल में इसकी कीमत दोगुनी हो गई है। इसने गेहूं को भी पछार दिया है। बाजार में इस समय मक्के की कीमत 2200 से 2400 रुपये क्विटल है। पिछले साल यह 1600 से 1800 रुपये क्विटल बिक रही थी, जबकि साल 2020 में 1200 रुपये क्विटल थी। वहीं गेहूं की बात करें तो इसका बाजार भाव 2015 रुपये प्रति क्विटल है, जबकि पिछले साल 1975 रुपये और 2020 में 1940 प्रति क्विटल था। मक्के की कीमत में उछाल से किसानों को काफी फायदा हो रहा है। साल में तीन बार मक्के का उत्पादन हो रहा है। स्नैक्स, कार्न फ्लेक्स के अलावा पशु दाने के रूप में भी इसका उपयोग किया जाता है।


------------
गन्ने का मिला विकल्प :
जो किसान गन्ने की खेती कर नुकसान उठा रहे थे, वे अब मक्के की खेती का रुख करने लगे हैं। अन्य फसलों की अपेक्षा मक्के की खेती उनके लिए फायदेमंद साबित हुई। मक्के की लगातार बढ़ रही कीमतों ने किसानों को जैसे संजीवनी दे दी है। उनकी आमदनी भी बढ़ गई है। जिले में दस हजार हेक्टेयर भूमि में मक्के की खेती होती है। उत्पादन लगभग 25 हजार क्विटल होता है। बड़े-छोटे मिलाकर करीब 500 किसान मक्के की खेती में लगे हैं। कुछ किसान मक्के की सहफसली कर अधिक उत्पादन कर रहे हैं।
आसपास के जिलों में मांग :
यहां उत्पादित मक्का धनकौल, तरियानी, चंपारण, सीतामढ़ी और मुजफ्फरपुर के बाजारों में भी बेचे जाते हैं। किसान उमेश कुशवाहा बताते हैं कि वर्तमान में मक्के की अच्छी कीमत मिल रही है। 2400 रुपये प्रति क्विटल की दर से मक्का बिक रहा है। अन्य जिलों के कारोबारी भी शिवहर पहुंचकर मक्का खरीद रहे हैं। किसान राजू सिंह बताते हैं कि जिले में मक्के की खेती और बाजार भी बेहतर हैं। स्नैक्स में भी मक्के की मांग :
आधे से अधिक मक्के का उपयोग पशु दाना के रूप में होता है। स्नैक्स में भी इसका उपयोग होने से मांग लगातार बढ़ती जा रही है। किसान गौरीशंकर प्रसाद कहते हैं, आने वाले समय में किसानों के लिए मक्के की खेती और अधिक लाभदायक होगी। जरूरत सरकारी स्तर पर इसे बढ़ावा देने की है। सही तरीके से खेती की जाए तो 100 दिनों में मक्के की फसल तैयार हो जाती है। पिपराही के किसान पप्पू कुमार बताते हैं, मक्का ही एक मात्र फसल है, जिसकी साल में तीन बार खेती होती है। कीमत भी अच्छी मिल जाती है। मक्के को अन्य फसलों के साथ भी लगाया जा सकता है।

अन्य समाचार