डेंगू बुखार के बचाव की चिकित्सक दंपती ने दी टिप्स



संवाद सूत्र, पुरैनी (मधेपुरा) : राष्ट्रीय डेंगू दिवस पर मंगलवार को चिकित्सक दंपती डा. मिथिलेश कुमार व शल्य चिकित्सक स्त्री व बांझपन रोग विशेषज्ञ डा. पूजा भारती ने डेंगू बुखार से बचाव की जानकारी दी है। चिकित्सक दंपती ने आम लोगों को डेंगू बुखार के प्रति जागरूक करते हुए बताया कि सजगता बरतकर ही इस रोग से बचा सकता है। क्योंकि डेंगू बुखार एडीज मच्छर के काटने से फैलता है। यह मच्छर दिन में ही काटता है। यह कंटेनरों व घर के आसपास गड्ढे में काफी दिनों से पड़े पानी, बिना उपयोग होने वाले कूलर, गमला, टूटी व पुराने बर्तनों में पाया जाता है।

डेंगू बुखार के लक्षणों की चर्चा करते हुए डा. पूजा भारती ने बताया कि इस बीमारी में ठंड के साथ तेज बुखार के साथ हड्डियों जोड़ों व मांसपेशियों में तेज दर्द होता है। साथ ही शरीर पर लाल चकता पड़ने के अलावा आंखों के पीछे वाले भाग में दर्द होने के साथ-साथ भूख भी कम लगती है। इस दौरान पेट में दर्द होना भी इसके लक्षण में शामिल है। इससे बचाव के लिए रोगी के शरीर में पानी की कमी को अविलंब दूर कर इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस बनाकर रखना चाहिए। डेंगू बुखार में प्लेटलेट्स की कमी होती है। इसे ठीक होने में एक हफ्ते से 10 दिन लगता है। सामान्य व स्वस्थ व्यक्ति में प्लेटलेट की संख्या डेढ़ लाख प्रति 24 मिली से ऊपर रहती है। लेकिन गंभीर डेंगू बुखार में संख्या में लगातार गिरावट होती है। 30 हजार से कम संख्या होने पर प्लेटलेट चढ़ाने की आवश्यकता पड़ सकती है। डा. मिथिलेश कुमार ने बताया कि प्लेटलेट्स को ब्लड बैंक में मात्र चार दिनों तक ही रखा जा सकता है। जबकि प्लाज्मा को एक साल तक व ब्लड को 35 दिनों तक ब्लड बैंक में रखा जा सकता है। इसकी रोकथाम के लिए डा. मिथलेश कुमार ने बताया कि एडीज मच्छरों के पनपने वाली जगह को खत्म करके इससे बचा जा सकता है। इसके अलावा मच्छर भगाने वाले उपकरणों, दवाओं व मच्छरदानी के नियमित प्रयोग से भी इससे बचाव संभव है। उन्होंने कहा कि डेंगू बुखार होने से घबराने की जरूरत नहीं है। डेंगू बुखार से संक्रमित मात्र पांच प्रतिशत के लगभग रोगियों को डेंगू के गंभीर लक्षण होने के संभावना जताई जाती है। जो गंभीर हो सकता है। लेकिन आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में हुई प्रगति के कारण इस रोग पर काबू पाना आसान है।

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