पिछले साल सोलह बार बाढ़ झेल चुके लोगों के चेहरे अब भी दिखता है बाढ़ का भय

संसू., सिकटी (अररिया): सिकटी प्रखंड के पूर्वी भाग से होकर बहने वाली नूना नदी के धारा परिवर्तन के बाद पिछले साल सोलह बार बाढ़ आई। बाढ़ के पानी ने गांव में तबाही मचाया था। इस साल भी बारिश दस्तक दे चुकी है। जिससे एक बार फिर से वही तबाही झेलने से लोग आशंकित है। नदी की बदली धारा ने सालगोड़ी,कचना, औलाबाड़ी, मनीर टोला सबसे ज्यादा प्रभावित किया।खेतों मे भरे बालु से वो मैदान बन गए है। लोगों के चेहरे पर बारिश के बाद बाढ़ का खौफ साफ दिखने लगता है। नदी के धारा को वापस पुराने धारा मे लौटाने के लिए जल नि:स्सरण विभाग दहगामा के ईदगाह टोले के निकट तटबंध निर्माण कर रही है। लेकिन ग्रामीण फिर से बाढ़ के भय से परेशान है। कमजोर तटबंध एवं नदी की कम गहराई के कारण इस साल भी बाढ़ की तबाही के प्रति लोग आशंकित हैं। बाढ़ से पूर्व इसके बचाव की सरकारी कवायद बाढ़ आने पर पूरी तरह विफल होती रही है। 2001से पहले नदी सैदाबाद से रानीकट्टा से पूरब होकर बलीगढ़ एवं खान टोला से पूरब होकर बहती थी। इसी साल सैदाबाद के निकट हुए धारा परिवर्तन से नदी दहगामा से पूरब होकर कालु चौक, सिंहीया औलाबाड़ी होकर बहने लगी।.तब पड़रिया पंचायत का यह इलाका बुरी तरह बाढ़ से प्रभावित होता रहा। सिहिया में भी नदी तटबंद तोड़कर नयी धारा बनाकर बहने लगी थी। फिर 2020 में दहगामा ईदगाह टोले के निकट नदी ने धारा बदलकर सालगोड़ी कचना का रुख कर लिया। विगत दो सालों में ये इलाका बुरी तरस बर्बाद हुआ। विगत वर्ष जून से अक्टूबर के बीच इस नदी मे सोलह बार बाढ़ आई।कचना राजवंशी टोला के कई घरों में चार महीने तक पानी लगा रहा। खेती बाड़ी सब चौपट हो गई। लेकिन सरकार की ओर से महज थोड़े प्लास्टिक ही राहत के रूप में मिली थी। तत्कालीन जिलाधिकारी प्रशांत कुमार सीएच स्वयं नाव पर बैठकर प्रभावित गांव का दौरा किया था। फिर नदी के धारा परिवर्तन को ही उपाय मानकर उस दिशा में काम किया गया। सांसद प्रदीप कुमार सिंह, विधायक विजय कुमार मंडल,जिप अध्यक्ष आफताब अजीम पप्पू ने भी क्षेत्र का दौरा कर समस्या की निदान का आश्वासन दिया।जिसके फलस्वरूप जल नि:स्सरण विभाग ने नदी के बदली धारा के मुहाने पर बाँध बनाकर उसकी धारा वापस पुरानी धारा मे भेजने का प्रयास किया है।वो कितना कारगर होगा बाढ़ के पानी आने से ही पता चलेगा।इस इलाके मे बाढ़ से बचाव के लिए अब तक कोई ठोस और मुकम्मल उपाय नही दिख रहा है।लोग फिर से अपने बुते इससे निपटने की तैयारी मे हैं। सामाजिक कार्यकर्ता पड़रिया पूर्व प्रमुख प्रतिनिधि खुर्शीद आलम ने बताया कि धारा परिवर्तन बाढ़ का स्थायी समाधान नही है।कल दुसरे इलाके मे तबाही मचेगी।नदी का सभी तटबंध जर्जर है।बाढ़ के समय मरम्मति का काम शुरु होता है।

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स्थानीय पंचायत समिति सदस्य के पति कचना के शोयेब आलम कहते हैं कि पुरखो से बसें है।जमीन जायजाद घर द्वार बना है।ऐसे मे इलाके छोड़कर कहां जा सकते है। दो साल से सालगोड़ी और कचना की स्थिति बहुत खराब रही। नदी की बदली धारा से सैकड़ो एकड़ जमीन मे दो साल से खेती नही हुई।किसान ने पशुपालन छोड़ दिया। धारा को बांधने से इधर पानी का प्रवाह रुक जाएगा। जिससे बाढ़ से बचाव होगा, लेकिन अभी जमीन को कृषि लायक बनाने मे कुसहा के तरह सरकारी अनुदान मिलना चाहिए। हर साल की तरह बाढ़ पूर्व तैयारी की जा रही है। पड़रिया एवं दहगामा में दो जगह बाढ़ आश्रय स्थल का निर्माण किया गया है।जिसमे बाढ़ के दौरान डुबे इलाके के लोग शरण ले सकते है।दहगामा मे जल नि:स्सरण विभाग ने बांध बनाकर नदी की धारा को पुराने धारा मे भेजने के लिए काम किया है। नूना नदी के सभी तटबंधो की स्थिति का आकलन कर जिला प्रशासन को प्रतिवेदित किया गया है। नाव की पर्याप्त व्यवस्था की गई है।स्थानीय जनप्रतिनिधियों के सहयोग से बाढ़ आपदा से बचाव की हर संभव व्यवस्था की जाएगी।
वीरेंद्र कुमार सिंह, अंचलाधिकारी, सिकटी।

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