जनता को जनार्दन मानकर सेवा करते थे महाराजा ध्रुव : नरहरिदास महाराज

गोपालगंज : विजयीपुर के अघैला मिश्र ग्राम में श्री रैनाथ ब्रह्मा मंदिर प्रांगण में भागवत कथा महायज्ञ आयोजन किया गया है। भागवत कथा के चौथे दिन अयोध्या सत्यम पीठाधीश्वर भागवताचार्य आचार्य नरहरिदास महाराज ने महाराजा ध्रुव व भक्त प्रह्लाद की कथा को सुनाया। कहा कि महाराजा ध्रुव ने भक्ति को कभी नहीं छोड़ी। उनका मानना था कि सत्ता रूपी प्रसाद परमात्मा ने हमें दिया है। इस भाव को समझते हुए वह जनता को जनार्दन मानकर सेवा करते थे। महाराजा ध्रुव 36 हजार वर्षों तक राज किए। इसके बाद गंगा किनारे हरिद्वार व ऋषिकेश में भगवान की भक्ति में पूर्ण रूप से लीन हो गए। इसका परिणाम यह हुआ कि उनके जीवन का जब अंत हुआ तो उसी शरीर में बैठकर भगवत लोक को प्राप्त हुए। इसकी चर्चा श्रीमद्भागवत महापुराण के चतुर्थ स्कंध के आठवें में 12 वें अध्याय में है।

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महाराज ने कहा कि हर आदमी की मृत्यु होती है सत्य है, लेकिन उसका शरीर छूट जाता है केवल आत्मा जाती है। महाराजा ध्रुव पहले ऐसे भक्त हुए भगवान उनको सशरीर विष्णु लोक बुलाए। विमान से जा रहे थे तो उनको माता की याद आई। उन्होंने सारथी से कहा कि हमारी मां इसी लोक में है और मैं मां को छोड़कर विष्णु लोक में नहीं जा सकता है। हमें यहीं छोड़ दीजिए। सारथी ने कहा कि आप खिड़की खोलिए। उन्होंने खिड़की खोलकर देखा तो सामने से दूसरा विमान गुजर रहा था। कुछ देर बाद दोनों विमान आमने-सामने हुए। उन्होंने देखा कि उनकी मां भी उसमें सवार है। महाराज ध्रुव ने कहा कि हमारी मां भी उसमें सवार है। सारथी ने कहा कि जिस मां ने आप जैसे पुत्र को जन्म दिया है, वह भला इस लोक में क्यों रहेगी। वह भी आप के साथ विष्णु लोक में जा रही हैं। महाराज धु्रव प्रसन्न हुए। फिर साथ-साथ चलने लगे। जो प्राणी राजा हो या प्रजा हो यदि वह प्रभु चरण में समर्पित रहे तो उसकी लोक और परलोक में संपूर्ण इच्छा पूर्ण होती है।
संगीतमय भागवत यज्ञ में संगीत मंडली में आर्गन वादक मनमोहन शरण, तबला वादक उमाशंकर, नाल वादक बृजमोहन दास, पैड वादक वैदेही शरण, मंजीरा वादक माधव शरण, राम कृपाल दास के साथ गायन में सीताराम दास और अमित कुमार ने सहयोग किया। महायज्ञ के मुख्य श्रोता यजमान पंडित श्रीहरे कृष्ण मिश्र वैदिक व आयोजक लेफ्टिनेंट डा. शिवदत्त मिश्रा ने पीठाधीश्वर का स्वागत किया। महायज्ञ में ग्वालियर से आए आचार्य पंडित मदन मोहन मिश्र शास्त्री ने पारायण पाठ किया। वेदमूर्ति पंडित आचार्य अजीत तिवारी और आचार्य अंकित मिश्र ने वेद पाठ किया।
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30 को कवि सम्मेलन
आयोजक लेफ्टिनेंट डा. शिव दत्त मिश्र ने बताया कि भागवत कथा के समापन अवसर पर 30 मई को अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। इसमें कवि आनंद श्रीवास्तव, अशोक बेशरम, न•ार इलाहाबादी, संतोष शुक्ल समर्थ, जितेंद्र जलज मुख्य रुप से अपने काव्य पाठ करेंगे।

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