महिलाएं भी मुर्गी पालन कर बनेंगी आत्मनिर्भर

संवाद सहयोगी, लखीसराय : ग्रामीण महिलाओं की गरीबी दूर करने में ग्रामीण विकास प्रोत्साहन इकाई जीविका बड़ी भूमिका निभा रहा है। परियोजना से ऋण मुहैया कराना और स्वयं सहायता समूह के माध्यम से स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने से ग्रामीण महिलाएं लाभान्वित हो रही है। स्वरोजगार के लिए न केवल धन मुहैय्या कराना बल्कि उसके समुचित कौशल विकास के लिए प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाता है। गरीब महिलाओं को आत्मनिर्भरता और स्वावलंबन की दिशा में यह पहल गरीबी दूर करने में मील का पत्थर साबित हो रही है। पहली बार ग्रामीण क्षेत्र की गरीब महिलाओं को मुर्गी पालन व्यवसाय से जोड़ने की पहल की गई है।इसके तहत जीविका से जुड़ी महिलाओं को मदर यूनिट से 25-25 चूजा उपलब्ध कराया गया है। महिलाओं को आर्थिक क्रिया कलापों के माध्यम से स्वावलंबी बनाने की यह पहल की जा रही है। स्वरोजगार के माध्यम से न केवल पारिवारिक और सामाजिक स्थिति बदलेगी बल्कि परिवार के पुरुष सदस्यों पर निर्भरता भी कम होगी।


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चार पंचायतों के 180 जीविका दीदी करेंगी मुर्गीपालन
जिले के लखीसराय प्रखंड जीविका इकाई ने पहल कर पहली बार महिसोना, गढ़ीविशनपुर, खगौर, साबिकपुर पंचायत के 180 जीविका दीदियों को पहले चरण में 25- 25 मुर्गी उपलब्ध कराया है। दूसरे चरण में 20-20 मुर्गी-मुर्गा का चूजा दिया जाएगा। इससे पहले बालगुदर गांव स्थित मदर यूनिट में 28 दिनों तक चूजा को सुरक्षित रखा गया जहां 24 घंटे जीविका के जीविकोपार्जन विशेषज्ञ रोहित कुमार ने देखभाल की। जीविका दीदी मुर्गी पालन कर अंडे और मांस की बिक्री करेंगी। इससे रोजगार के साथ जीविकोपार्जन भी होगा। एक्सपर्ट के अनुसार एक मुर्गी अधिकतम 120 अंडा देती है और 60 से 70 दिन में मुर्गी का वजन एक किलो का हो जाता है। जीविका दीदी को क्रोइलर प्रजाति की मुर्गी और मुर्गा दिया गया है जिसे सुरक्षित रखने के लिए 1,000 रुपये का पिजरा भी वितरण किया गया है। ---
लखीसराय जीविका परियोजना गांव की गरीब समुदायों को जीविकोपार्जन गतिविधियों से जोड़कर उनके आर्थिक सशक्तीकरण के लिए लगातार कार्य कर रही है। पहली बार जीविका दीदियों को मुर्गीपालन से जोड़ा गया है। इससे अपने घर की आमदनी बढ़ाकर वह गरीबी से उबर सकेंगी।
प्रभात कुमार, बीपीएम जीविका, लखीसराय।

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