73 प्रधानाध्यापकों पर गिर सकती है कार्रवाई की गाज

आशुतोष सिंह, जमुई : जिले भर के 73 प्रधानाध्यापकों तथा प्रभारी प्रधानाध्यापकों पर अपने विद्यालय में विद्यालय शिक्षा समिति का गठन नहीं किए जाने के कारण उन पर कार्रवाई की गाज गिर सकती है। जिला पदाधिकारी की अध्यक्षता में आयोजित पीएम कौशल योजना की बैठक के दौरान यह मामला सामने आया था कि जिले भर के लगभग 1700 विद्यालयों में से 73 विद्यालयों में अब तक विद्यालय शिक्षा समिति का गठन नहीं किया गया है, जिस कारण मध्याह्न भोजन योजना तथा अन्य विकास कार्य प्रभावित हो सकता है। इस बात को मद्देनजर रखते हुए जिलाधिकारी ने संबंधित पदाधिकारी को निर्देश दिया कि शेष बचे 73 विद्यालयों में एक सप्ताह के अंदर विद्यालय शिक्षा समिति का गठन कर सूचित करें, अन्यथा संबंधित प्रधानाध्यापक व प्रभारी प्रधानाध्यापक पर कार्रवाई की जाएगी। मालूम हो कि सभी विद्यालयों में वर्ष 2021 में ही विद्यालय शिक्षा समिति का गठन किया जाना था, परंतु लेटलतीफी तथा लापरवाही के कारण अब तक 73 विद्यालयों में विद्यालय शिक्षा समिति का गठन नहीं हो सका है जिस कारण विद्यालय में विकास कार्य तथा मध्याह्न भोजन योजना प्रभावित हो सकती है। आंकड़ों पर नजर डालें तो जिले के सदर प्रखंड जमुई में सबसे अधिक 20 विद्यालयों में विद्यालय शिक्षा समिति का गठन नहीं हो सका है, जबकि चंद्रमंडी शैक्षणिक अंचल में 16 विद्यालयों में विद्यालय शिक्षा समिति गठित नहीं हो सकी है। विद्यालय शिक्षा समिति के शीघ्र गठन को लेकर जिले भर के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को पत्र जारी किया गया है। साथ में कहा गया है कि एक सप्ताह के अंदर शेष बचे सभी 73 विद्यालयों में विद्यालय शिक्षा समिति गठित कर विभाग को सूचित किया जाए, अन्यथा संबंधित प्रधानाध्यापकों पर कार्रवाई की जाएगी। --


विद्यालय शिक्षा समिति की है विद्यालय में अहम भूमिका

विद्यालयों में विद्यालय शिक्षा समिति मुख्य रूप से विद्यालय के विकास कार्य तथा मध्याह्न भोजन योजना में निगरानी तथा सहयोग का काम करती है। विद्यालय शिक्षा समिति के माध्यम से ही विद्यालय में होने वाले विकास कार्यों पर निर्णय लिया जाता है तथा विद्यालय की शैक्षणिक व्यवस्था को भी सु²ढ़ करने की जवाबदेही होती है। मूल रूप से विद्यालय शिक्षा समिति विद्यालय पोषक क्षेत्र के लोगों तथा विद्यालय परिवार के बीच सेतु का काम करती है। विद्यालय शिक्षा समिति में मुख्य रूप से विद्यालय प्रधान, विद्यालय शिक्षा समिति के सचिव तथा अध्यक्ष शामिल होते हैं, जिनका चुनाव आम सभा में किया जाता है। विद्यालय शिक्षा समिति का कार्यकाल मूल रूप से तीन वर्षों का होता है, जिसे विशेष परिस्थिति में विभाग द्वारा बढ़ाया जा सकता है। विद्यालय प्रधान के साथ विद्यालय शिक्षा समिति के सचिव के साथ बीएसएस तथा एमडीएम का खाता संचालन संयुक्त रूप से किया जाता है। विद्यालय विकास तथा एमडीएम में वित्तीय लेन-देन के लिए दोनों अधिकारिक रूप से कार्य करते हैं। विद्यालय शिक्षा समिति की नियमित बैठक में विद्यालयों की समस्याओं पर गहन विचार विमर्श कर उसका निदान निकाला जाता है।
जिले भर के सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को एक सप्ताह के अंदर शेष बचे 73 विद्यालयों में विद्यालय शिक्षा समिति गठित कर सूचित करने का निर्देश जारी किया गया है। यदि ससमय विद्यालय शिक्षा समिति का गठन नहीं किया जाता है तो जिलाधिकारी के आदेश अनुसार उक्त विद्यालय के प्रधानाध्यापकों व प्रभारी प्रधानाध्यापकों पर कार्रवाई की जाएगी। - पारस कुमार, जिला कार्यक्रम पदाधिकारी, प्राथमिक शिक्षा एवं समग्र शिक्षा, जमुई।
--- बीएसएस गठन नहीं होने वाले विद्यालयों का प्रखंड वार आंकड़ा
प्रखंड---------विद्यालयों की संख्या
बरहट ------------- 09 चकाई ------------02 गिद्धौर --------------02 अलीगंज----------03 जमुई ----------------20 झाझा -----------------08 खैरा --------------------05 सिकंदरा------------- 07 सोनो --------------01 चंद्रमंडी---------------16 ------
विद्यालय की कुल संख्या ---73

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