वर्षों बाद भी ग्राम कचहरी को अपना भवन नसीब नहीं

अरवल : पंचायत में अक्सर अनेकों विवाद उपजते रहते हैं, जिसमें घरेलू झगड़े, फसल बर्बादी, जमीन विवाद आदि शामिल हैं। इन विवादों का समाधान गांव में ही हो जाए इसके लिए प्रत्येक पंचायत में ग्राम कचहरी मौजूद है। ग्राम कचहरी में सरपंच, उप सरपंच, पंच, न्याय मित्र, न्याय सचिव कार्यरत हैं। लेकिन वर्षों से ग्राम कचहरी को अपना भवन नसीब नहीं हुआ है। निर्वाचित सरपंच और पंच किसी प्रकार अपने दालान या गांव में किसी पेड़ के नीचे कामकाज निपटाते हैं।

कलेर प्रखंड में 15 पंचायतें हैं। अधिकांश पंचायतों की स्थिति एक जैसी है। आजादी के इतने वर्षों बाद भी ग्राम कचहरियों को आज तक अपना भवन नसीब नहीं हो सका है। लिहाजा, त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में निर्वाचित हुए सरपंच किसी तरह अपने घर पर या चलते-फिरते अथवा दालान से कामकाज निपटाने को विवश हैं। संसाधन के अभाव में सरपंच अपनी भूमिका पूरी तरह से अदा नही कर पा रहे। इस कारण गांव के लोग छोटे-छोटे मामले भी थाने पहुंच रहे हैं। सरकार ने ग्राम कचहरी नियमावली 2007 बनाकर कई अधिकार दिए हैं। करीब दो दर्जन धाराओं में मामला दर्ज करने और सुनवाई करने का अधिकार भी है। लेकिन भवन व संसाधन के अभाव में ग्राम कचहरी का संचालन बेहतर तरीके से नहीं हो पा रहा है। ग्राम कचहरी का स्थायी कार्यालय नहीं प्रखंड में अधिकांश ग्राम कचहरी सरपंच के घर से संचालित होता है, कोई भवन नहीं होने के कारण सरपंच घर से ही काम करते हैं। कई सरपंच मुखिया से समन्वय स्थापित कर पंचायत भवन के एक कमरे में फर्नीचर रखते हैं। पंचायत की बनावट के हिसाब से वाद दायर हो पाने के बाद निर्धारित तिथि को पंच सदस्य भी स्थल तक पहुंच पाने में कठिनाई महसूस करते हैं। प्रखंड में ग्राम कचहरी का वर्तमान में कोई अस्थायी भवन नहीं है। ग्राम कचहरी चुनाव के बाद नये सरपंच के निर्वाचित होने के साथ सरपंच का कार्यालय बदल जाता है। संसाधनों के अभाव में ग्राम कचहरी का कामकाज सौ फीसदी निपटारा करना चुनौती बना हुआ है। प्रत्येक चुनाव के बाद सरपंच बदलते ही कार्यालय का स्थान बदल जाता है।

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ग्राम कचहरी सशक्त हो जाए तो कम होगी मुकदमे की संख्या इस्माइलपुर कोयल ग्राम पंचायत के सरपंच रवि रंजन शर्मा ने कहा कि
सरपंच का पद समाज व न्याय के लिए विशेष स्थान रखता है। ग्राम कचहरी सशक्त हो जाए तो आधे से अधिक समस्याओं का निपटारा पंचायत में ही हो जायेगा। न्यायालय में बढ़ रहे मुकदमे की संख्या कमी होगी। अधिनियम अनुसार सरपंच को आइपीसी की करीब 80 से अधिक धारा में केस देखने का अधिकार दिया गया है।
सोहसा ग्राम पंचायत के संरपच बिपुल कुमार ने कहा कि ग्राम कचहरी को अपना भवन नहीं होने से कई प्रकार की कठिनाइयों से जूझना पड़ता है। पंचायत भवन के एक कमरे में बैठकर काम करना पड़ता है। जबकि सरपंच को कई अहम जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन संसाधन नहीं मिला है।
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क्या कहते हैं अधिकारी
प्रखंड में बने पंचायत सरकार भवन में ही संयुक्त रूप से पंचायत स्तरीय कार्यालय बनाया गया है। प्रखंड में पंचायत सरकार भवन निर्माण की दिशा में कार्य प्रगति पर है। ग्राम कचहरी के लिए कोई अलग भवन बनाए जाने का प्रविधान नहीं है।
यूनिस सलीम, प्रखंड विकास पदाधिकारी, कलेर

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