रक्ताल्पता के लिए सभी प्रखंडों के कर्मियों को किया जा रहा है प्रशिक्षित

जागरण संवाददाता, पूर्णिया। खून की कमी या एनिमिया ऐसा रोग है, जिससे अगर गर्भवती महिलाएं शिकार हो जाती हैं तो बच्चे पर इसका दुष्प्रभाव पड़ता है। आंगनबाड़ी केंद्रों में और स्वास्थ्य केंद्रों में आयरन की टेबलेट का वितरण किया जाता है। हरी पत्तेदार सब्जी को भोजन में शामिल करने से गर्भवती महिलाओं और बच्चों को शिकार होने से बचाया जा रहा है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग जिले 14 प्रखंडों के सभी स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित कर रहा है। बच्चे में एनीमिया की रोकथाम के लिए एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम स्वास्थ्य को लागू किया गया है। शिक्षा और समाज कल्याण विभाग के संयुक्त तत्वावधान में प्रशिक्षण कार्यक्रम का संचालन हो रहा है। प्रखंड के अंतर्गत स्वास्थ्य विभाग, आईसीडीएस, शिक्षा विभाग से जुड़े अधिकारियों एवं कर्मियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है। किशोरावस्था के दौरान बेहतर शारीरिक और मानसिक विकास से स्वस्थ जीवन की आधारशिला तैयार होती है। किशोरियों में खून की कमी भविष्य में सुरक्षित मातृत्व के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है। 10 से 19 वर्ष तक की किशोरियों और गर्भवती महिलाओं को आयरन की गोली दी जा रही है। कोरोना संकट काल में स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्रों को बंद कर दिया गया था। आंगनबाड़ी सेविका और आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर किशोरियों के बीच आयरन की गोली का वितरण कर रही है। एनिमिया मुक्त भारत और वाईआईएफएस कार्यक्रम के अंतर्गत आईएफए आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन और प्रतिवेदन से संबंधित उन्मुखीकरण किया जा रहा है।


एनीमिया एक गंभीर समस्या
जिले में 50 फीसद से अधिक गर्भवती महिलाओं एनिमिया की शिकार है। इसका सीधा असर होने वाले बच्चे पर होता है। प्रसव के दौरान भी माता के जान को खतरा होता है। एनीमिया एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है जो कार्यक्षमता पर विपरीत प्रभाव डालती है। किशोरियों की बेहतर स्वास्थ्य को लेकर कदम उठाया गया है। माध्यमिक विद्यालयों में किशोरियों को दवा खिलायी जाती है। विद्यालय नहीं जाने वाली किशोरियों को आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से दवा दी जाती है। प्रत्येक बुधवार को प्रशिक्षित शिक्षक एवं शिक्षिकाओं के द्वारा स्कूल नहीं जाने वाली किशोरियों को आंगनबाड़ी सेविकाओं के माध्यम से दवा खिलाई जाती है। इसके लिए जिले में जीविका, शिक्षा विभाग, आंगनबाड़ी केंद्रों की मदद से स्वास्थ्य विभाग व्यापक अभियान चला रहा है। सभी प्रखंड पीएचसी में भी एएनएम और आशा की मदद से ऐसे महिलाओं को चिह्नित किया जाता है जो गर्भवती है या गर्भधारण करने की इच्छुक है। महिलाओं में पीएचसी में जांच के बाद नियमित आयरन की टेबलेट खाने की सलाह दी जाती है। किशोरियों के लिए स्कूल में इस अभियान को चलाया जा रहा है।

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