विभूतिपुर में 5 तालाबों का होगा कायाकल्प, पिकनिक स्पाट के रुप में होंगे विकसित

समस्तीपुर। जल हीं जीवन है। मगर, जीवन में जल की बढ़ती जरुरतें और जलस्तर में आ रही कमी। साथ हीं अधिकांश तालाबों का अस्तित्व खतरे में होना काफी चिताजनक है। इस बीच जल संरक्षण को लेकर केन्द्र सरकार ने अनूठी पहल की है, जो देश भर में ना सिर्फ 50 हजार तालाबों को नया लुक देगी। बल्कि, जीव-जंतुओं के लिए जल स्त्रोतों को भी अधिक स्थाई बनाएगी। आजादी के अमृत महोत्सव पर जल संरक्षण को लेकर भारत सरकार ने महत्वाकांक्षी अमृत सरोवर योजना लांच की है। राज्य के प्रत्येक जिले में 75 तालाब बनाए जाने हैं। इस योजना के तहत नए तालाबों का निर्माण और पुराने तालाबों का विकास किया जाना है। यह कयास लगाया जा रहा है कि इससे संबंधित ग्राम पंचायत के ग्रामीणों को मनरेगा से रोजगार भी उपलब्ध हो सकेंगे। केन्द्र सरकार की शानदार पहल में विभूतिपुर के ऐसे 5 तालाबों को चिह्नित किया गया है, जिसे संवार कर पिकनिक स्पॉट के रुप में विकसित किया जाएगा। इन 5 तालाबों को मिलेगा नया लुक

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अंचल क्षेत्र के 5 तालाबों को नया लुक देने की कवायद तेज हो गई है। इसमें कल्याणपुर दक्षिण पंचायत अंतर्गत दो तालाबों को अमृत सरोवर योजना के लिए चिह्नित किया गया है। वार्ड 4 का 'शिवाला पोखर' लगभग 100 वर्ष पुरानी है। गांव के हीं राजीव कुमार मिश्र बताते हैं कि इस तालाब का निर्माण कृति मिश्र की पत्नी सोना देवी (मिश्र) द्वारा कराया गया था। कहते हैं कि पंचायत के हीं वार्ड 7 के झटियाही पोखर को भी चिह्नित किया गया है। यह भी लगभग 100 वर्ष पुरानी है। इसका निर्माण किसने करवाया यह स्पष्ट नहीं मिल पा रहा। कुछ बातें हीं बुजुर्गों द्वारा बताई जाती है। दोनों हीं तालाबों की स्थिति दयनीय है। इसकी पुष्टि स्थानीय मुखिया संजय कुमार निराला भी करते हैं। सुरौली वार्ड 3 स्थित सार्वजनिक पोखर लगभग 80-90 वर्ष पुरानी है। यहां के लालबाबू मिश्र आदि बताते हैं कि इनके पूर्वजों ने पोखर खुदवाया था। तालाब जीर्णोद्धार की आवश्यकता थी। कल्याणपुर उत्तर मिल्की वार्ड 4 स्थित तुलसी झा पोखर अंग्रेज जमाने की बताई गई है। यहां के रामाकांत झा आदि के पूर्वजों द्वारा पोखर निर्माण की बातें बताई जाती है। वहीं खास टभका उत्तर वार्ड 2 का रानी पोखर करीब 200 वर्ष पुरानी है। पूर्व मुखिया श्याम बिहारी राय की मानें तो पोखरा का निर्माण किसी रानी द्वारा करवाई गई थी। मुखिया बेजंतीमाला देवी कहती हैं कि जीर्णोद्धार के लिए लगातार प्रयास कर रही थी। तभी अमृत सरोवर योजना में शामिल हो गई है। तालाब के कायाकल्प होने से वर्षा जल संचय को बढ़ावा मिल सकेगा। - तालाब चयन के लिए मानक
चूंकि, केन्द्र सरकार ने अमृत सरोवर योजना को लेकर मानक तय कर रखा है। इसलिए, योजना लक्ष्य की सफलता को लेकर तय किए गए सरकारी निर्देशों के आलोक में अधिकारी भी चंचल हो चले है। इस योजना में ऐसे तालाब शामिल किए जाएंगे, जिनका क्षेत्रफल न्यूनतम 1 एकड़ और जल संग्रहण क्षमता 10 हजार क्यूबिक मीटर होगी। लक्ष्य अधिकाधिक वर्षा जल संग्रहण करके भौम जलस्तर में वृद्धि किया जाए। साथ हीं भविष्य में संभावित जल संकट को रोका जा सकेगा। सरकारी मानकों का शत-प्रतिशत पालन कराए जाने का दावा सरकारी मुलाजिमों द्वारा कही जा रही है। मगर, तालाब में भरे जल कार्य को कुछ हद तक मंथर कर सकती है। कार्यक्रम पदाधिकारी मनरेगा जितेन्द्र कुमार बताते हैं कि चिह्नित 5 तालाबों का इंट्री हो चुका है। जेई एस.रहमानी अपने कार्यों का निष्पादन कर रहे। स्टीमेट प्रक्रिया में है। एई से बातचीत की गई है। आगामी 15 अगस्त 2023 तक योजना पूर्ण करा ली जाएगी। रीडर कनेक्ट : आप भी अमृत सरोवर को लेकर कुछ कहना या सहयोग करना चाहेंगे तो हमें वाट्सएप नंबर 8002626249 पर अपनी प्रतिक्रिया दे सकेंगे।

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