उत्पाद विभाग का कारनामा, 80 हजार में पियक्कड़ बनाकर करा रहा है बेल

संवाद सहयोगी, जमुई। शराबबंदी कानून में संशोधन का फायदा उठाने में जमुई उत्पाद विभाग पीछे नहीं रह रही है। विभाग का कारनामा सामने आया है। पुलिस ने अस्सी हजार के एवज में पूरे केस को बदल दिया। बेगूसराय के एक व्यवसायी भवेश कुमार ने सीजेएम की अदालत में एएसआइ जितेंद्र कुमार और सिपाही संजय साव के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। सीजेएम ने जांच के लिए मामले को अपनी ही फाइल में रखा है।

यह मामला शराब बंदी के नाम पर पुलिस उगाही के सारे राज खोलने के लिए काफी हैं।
व्यवसायी भवेश कुमार ने अपने आवेदन में कहा है कि उसके दो कर्मचारी देवघर से घर लौट रहे थे। दोनों को शराब पिये हुए रहने के कारण चकाई में गिरफ्तार कर लिया गया। दोनों कर्मचारियों को उत्पाद विभाग के थाने लाकर बुरी तरह मारपीट और प्रताड़ना के बाद अपने घर अथवा मालिक से 80,000 मांगने के लिए कहा गया। इतनी राशि देने पर उन्हें सिर्फ पियक्कड़ ही रहने दिया जाएगा। वह नए शराबबंदी कानून के तहत जुर्माना देकर जमानत पा सकता है। अगर वह मांगी गई नहीं देता है तो 500 लीटर शराब दिखाकर उसे शराब व्यवसायी बनाकर जेल में समा दिया जाएगा। इस लेन-देन और कानून के सेक्शन के हेरफेर में एएसआइ ने कर्मचारी के स्व्जन तथा उनके मालिक से फोन पर कई बार बात की। आवेदन में इसका साथ किया गया है। अंतत: सौदा 60,000 में तय हुआ। दोनों कर्मचारियों के पास बचाव के कोई रास्ते नजर नहीं आ रहे थे। दबाव में पैसा देने के लिए मजबूर हुए। तब उन्हें पियक्कड़ बना कर 2000-2000 जुर्माना भरने के साथ ही जेल जाने से छुटकारा मिला। दोनों को जमानत मिल गई। इस घटना से आहत दोनों कर्मचारियों के मालिक व्यवसायी भवेश कुमार ने इस पूरी घटना का जिक्र काल डिटेल के साथ घूस के रूप में रुपए वसूलने का मुकदमा सीजेएम जमुई की अदालत में दायर की है। सुनवाई के बाद सीजेएम जमुई मनोज कुमार श्रीवास्तव ने जांच के लिए अपनी पर्सनल फाइल में रख लिया है।
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इस मामले में उत्पाद अधीक्षक संजीव कुमार ठाकुर ने बताया कि ऐसे किसी मामले की जानकारी नहीं है।
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इन दिनों उत्पाद विभाग के थाने और कोर्ट पहुंचने वाली पियक्कड़ों की गाड़ी के आगे मेले जैसा ²श्य खुलेआम देखा जा सकता है। जहां कानून की धारा बदलने और जब्ती सूची को बदलने का बड़ा व्यापार खुलेआम चल रहा है। पैसा तो सेक्शन बदलकर बेल और नहीं तो जब्ती की दारू दिखाकर सीधे जेल। यहां तक कि इस सौदे में कई दलाल माफिया और कुछ कथित अधिवक्ता भी संलिप्त हैं जो इस धंधे को अंजाम दे रहे हैं।

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