खेतीबाड़ी को मिलेगी रफ्तार, गांव में खुलेंगे कृषि यंत्र बैंक

संवाद सहयोगी, लखीसराय : समय के साथ खेती का तरीका भी बदलता जा रहा है। खेती-बाड़ी के कार्यों में कृषि यंत्रों की उपयोगिता बढ़ती जा रही है।अधिकांश किसान अब खेती में कृषि यंत्रों का उपयोग करने लगे हैं। इससे किसानों के लिए कृषि कार्य पहले की अपेक्षा अधिक आसान हो गया है। कृषि यंत्रों की खेती में बढ़ती उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए सरकार कस्टम हायरिग केंद्र (कृषि यंत्र बैंक) के लिए प्रोत्साहित कर रही है। लखीसराय जिले में पहली बार बिहार ग्रामीण जीविकोपार्जन प्रोत्साहन योजना के तहत लखीसराय प्रखंड जीविका परियोजना ने प्रखंड की गढ़ीविशनपुर पंचयात में जीविका की महिलाओं की देखरेख में कृषि यंत्र बैंक खोलने की तैयारी की है। इस पर आठ लाख रुपये खर्च होंगे। जहां ट्रैक्टर सहित खेती में उपयोग होने वाले सभी तरह के उपकरण उपलब्ध रहेंगे। स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिला किसानों को प्राथमिकता के साथ कृषि यंत्र उपलब्ध कराए जाएंगे। क्षेत्र के अन्य किसान भी इन यंत्रों का उपयोग खेती के लिए कर सकेंगे। इसके लिए जीविका समूह को निर्धारित किराया भी देना पड़ेगा। ---


आसान होगी खेती, संवरेंगे दिन
कृषि यंत्र बैंक का संचालन जीविका की संकुल स्तरीय संघ करेगा। खेती बाड़ी में काफी संख्या में महिलाएं फसल की रोपाई, बीज रोपण, कटाई, अनाज की सफाई आदि कार्य में लगी रहती है। कृषि यंत्रों की आसानी से उपलब्धता के बाद महिलाओं को कठिन परिश्रम से मुक्ति मिलेगी। कृषि यंत्रों के उपयोग के लिए जीविका समूहों द्वारा एक निर्धारित राशि तय की जाएगी। जो राशि प्राप्त होगी वह ग्राम संकुल संघ के खाते में जमा होगी। सरकार की इस पहल से ग्रामीण अंचलों में खेती की तस्वीर बदलेगी और शारीरिक श्रम से निजात मिलेगा। कृषि यंत्रों के उपयोग से किसान उन्नत खेती भी कर सकेंगे।
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आधुनिक कृषि यंत्रों के उपयोग से खेती और बागवानी का कार्य समय और कम खर्च में आसानी से निपटाया जा सकता है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए कस्टम हायरिग सेंटर खोला गया है। इसके माध्यम से जीविका से जुड़े गरीब परिवारों एवं मध्यम वर्गीय किसानों को सस्ती दर पर कृषि यंत्र उपलब्ध हो सकेगा। इससे खेती बाड़ी का काम आसान होगा। सेंटर के लिए ट्रैक्टर का क्रय कर लिया गया है। अन्य यंत्रों की खरीददारी की जा रही है।
प्रभात कुमार, बीपीएम, जीविका लखीसराय

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