वीटीआर में गैंडों के लिए अधिवास क्षेत्र बनाने की कवायद ठंडे बस्ते में

बगहा। दो साल पहले वीटीआर में गैंडों के लिए अधिवास क्षेत्र बनाने की शुरू हुई कवायद अब ठंडे बस्ते में चली गई है। प्रस्ताव तैयार करने के लिए जो कमेटी गठित हुई थी, वह फिलहाल निष्क्रिय हो गई है। जिम्मेदार भी इस प्रस्ताव पर साफ-साफ कुछ बता नहीं पा रहे। कारण इस विषय पर लंबे समय से कमेटी की बैठक नहीं हो पाई है। वीटीआर की आबोहवा गैंडों के अनुकूल है। 1980 के आसपास यहां गैंडों की अच्छी खासी संख्या थी। शिकार की वजह से धीरे-धीरे उनकी संख्या कम होती चली गई। मेहमान शावक गैंडों को बाघ व अन्य हिसक जानवरों के खतरे से बचाने के लिए वीटीआर प्रशासन ने उन्हें पटना के संजय गांधी उद्यान में शिफ्ट करने की योजना बनाई है। दो वर्ष पूर्व रेस्क्यू कर जटाशंकर वन परिसर के मोटर अड्डा में बेड़ा बनाकर उपचार किया जा रहा था। वीटीआर में गैंडों की लगातार कम होती संख्या देख विभाग ने अधिवास क्षेत्र बनाने की पहल की थी। वर्ष 2020 में शासन के निर्देश पर रिटायर्ड अधिकारियों की कमेटी बनाई गई थी। कोरोना के कारण सुस्त हुई पहल


व टीआर में गैंडो के लिए अधिवास क्षेत्र चिह्नित करने के लिए बनाई गई कमेटी लगभग चार बैठकें करने के बाद सुस्त हो गई। कोरोना संक्रमण बढ़ने के कारण नामित अधिकारी बैठक कर आगे की नीति नहीं बना पाए। अब संक्रमण की रफ्तार थम गई है। फिर भी अधिकारी प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने में सुस्ती बरत रहे हैं। अधिवास क्षेत्र बने तो बाहर से मंगाए जाएंगे गैंडे
अधिवास क्षेत्र बनने के बाद पश्चिम बंगाल और असम से गैंडे मंगाए जाएंगे। वीटीआर में करीब एक वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को उर्जाचालित तारों से घेर कर गैंडों के नए आशियाने तैयार किए जाएंगे। गैंडा पुनर्वास परियोजना का मकसद गैंडों की संख्या बढ़ाना है। यहां गैंडों को स्वच्छंद विचरण करने का मौका मिलेगा। जब इनकी संख्या बढ़ेगी तो पर्यटक स्वत: आकर्षित होंगे। बयान :-
गैंडों के अधिवास क्षेत्र को चिह्नित करने के लिए 2020 में कमेटी बनाई गई है। इसमें विभाग के रिटायर्ड अधिकारी शामिल हैं। कोरोना की वजह से यह प्रक्रिया सुस्त हो गई थी। जल्द ही इस पर तेजी से काम होगा। क्षेत्र चिह्नित होते ही प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा।
-नेशामणि, वन संरक्षक, वीटीआर

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