मेघ के जमकर बरसने पर झील में तब्दील हो जाता है शहर

जागरण संवाददाता, खगड़िया : खगड़िया ऐसा शहर है, जहां मूसलाधार बारिश होने पर भी नाव चलती है। रेलवे लाइन के उत्तरी भाग में जो नाले बने हैं, वह कारगर नहीं है। रेलवे के दक्षिणी भाग में दो बड़े नाले हैं। एक जेएनकेटी स्लूस गेट के पास तक जाता है। दूसरा बड़ा नाला दाननगर स्लूस गेट के पास मिलता है। लेकिन जब बूढ़ी गंडक में पानी बढ़ता है, तो दोनों स्लूस गेट को बंद करना पड़ता है और शहर के दक्षिणी भाग में त्राहि-त्राहि मच जाती है।

हल्की सी बारिश में भी खगड़िया शहर जलमग्न हो जाता है। मैं थाना रोड में कपड़े की दुकान करता हूं। बरसात में कई बार नारकीय स्थिति का सामना करना पड़ता है। इससे व्यवसाय पर भी असर पड़ता है। 2019 की बारिश को याद कर आज भी सिहर जाता हूं। जल निकासी को लेकर मास्टर प्लान की जरूरत है। गंभीर रूप से मंथन की जरूरत है। शहरवासी को भी चितन करना होगा, आगे आना होगा।
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प्रेम कुमार यशवंत, व्यवसायी।

मानसून उतरने ही डर लगने लगता है। मूसलाधार बारिश के बाद तो शहर की स्थिति बिगड़ने लगती है। पावर हाउस रोड की स्थिति तो हर बरसात में बदतर हो जाती है। कई सालों से यहां बरसात में जल जमाव होता है। बगल के गड्ढे में पानी जमा रहता है। महामारी की आशंका रहती है। हमलोग तो भय के साए में बारिश की रात बिताते हैं। नाले की उड़ाही शहर में होती है, लेकिन पानी की निकासी का साधन नहीं है।
जेके जवाहर, शतरंज खिलाड़ी

बारिश की बात छोड़िए अन्य दिनों भी भारती नगर में जल जमाव रहता है। जल निकासी को लेकर बनाए गए नाले अनुपयोगी हो चुका है। नगर परिषद की ओर से बीच-बीच में जल निकासी को लेकर पंपसेट लगाया जाता है, लेकिन दो-चार दिनों बाद स्थिति पुन: दयनीय हो जाती है। 2019 में मात्र 45 मिनट के हैबी रैन फाल में शहर जलमग्न हो गया था।
सुबोध कुमार, शिक्षक

नगर प्रशासन कितना ही नाले की उड़ाही कर ले। जल जमाव की समस्या से निपटना नामुमकिन है। क्योंकि शहर के पानी का निकास ही नहीं है। जिस कारण से लगातार जल जमाव की समस्या बनी रहती है। भारती नगर, सन्हौली बैंक रोड में स्थाई जल जमाव है। इसके निदान को लेकर महत्ती प्रयास की आवश्यकता है। शहरवासी विचार-विमर्श कर प्रशासन कोई निर्णय ले।
सौरव कुमार सिंह, युवा। क्या कहते हैं जल विशेषज्ञ

नगर परिषद को चाहिए कि एक रोडमेप तैयार करें। ड्रेनेज के सिस्टम को अत्याधुनिक बनाया जाए। अब पुराने ढंग और तकनीक से जल निकासी की व्यवस्था को बंद किया जाए। आधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए इस दिशा में सोचा जाए। मकान का नक्शा पास करते समय जल निकासी को ध्यान में रखा जाए। बूढ़ी गंडक के जल ग्रहण क्षेत्र में स्थाई निर्माण कार्य को भी देखना होगा। सन्हौली मोइन में शहर बस जाने का परिणाम आज हजारों लोग भोग ही रहे हैं।

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