विभागीय उदासीनता से जिले में मशरूम उत्पादन ठप

जागरण संवाददाता, बिहारशरीफ : वर्ष 2010 में नालंदा जिले का चयन मशरूम उत्पादन जिले के रूप में किया गया था। उस समय पूरी ताम-झाम के साथ जिले में मशरूम उत्पादन योजना जमीन पर उतारा गया था। उस समय सरकारी सहायत व विभागीय मार्गदर्शन पर जिले की महिला किसानों को माशरूम उत्पादन का जिम्मा दिया गया था। जिले की विभिन्न महिला हित समूहों से जुड़ी महिलाओं ने मशरूम उत्पादन भी शुरू कर दिया था। जब मशरूम का उत्पादन शुरू हुआ तो महिलाओं की माली हालत में सुधार होने लगा था।

लेकिन दो वर्षों में ही सरकारी उदासीनता से स्थिति बदल गई। साल भर उत्पादित होने वाले मशरूम की किस्में यहां उपलब्ध नहीं कराई गई। जिसका नकारात्मक परिणाम यह रहा कि छह महीने में ही अधिकांश महिला मशरूम उत्पादक किसानों को बेरोजगारी का डर सताने लगा है। महिला कृषकों के लिए अब दोबारा इस तरह की कोई योजना धरातल पर नहीं उतारा गया। जिस कारण सिर्फ छह महीने के लिए अधिकांश मशरूम उत्पादक महिला कृषक आत्मनिर्भर बन पाई। अब महिलाएं दूसरे काम पर आश्रित हो रही हैं। गर्मी के मौसम में उत्पादित होने वाले मशरूम प्रभेद की यहां उपलब्धता नहीं होने के कारण महिलाएं मशरूम की खेती से विमुख होती गई। आज स्थिति यह है कि जिले की अधिकांश महिलाएं मशरूम की खेती नहीं कर रही है। यहां बता दें कि 2010 में जब मशरूम की खेती जिले में महिलाएं कर रही थी तो वह आस्टर प्रजाति की अक्टूबर से मार्च तक होने वाला प्रभेद था।

इस संबंध में उद्यान महाविद्यालय नूरसराय के शिक्षक ने बताया कि मशरूम की ऐसी प्रजातियां हैं जिसकी खेती पूरे साल किया जा सकता है। अगर उन प्रजतियों की खेती महिला किसानों से कराया जाता, तो स्थिति यह होती कि साल भर महिलाएं मशरूम की खेती कर आत्मनिर्भर रहती। उन्होंने बताया कि गर्मी की मौसम में कैलो साइबी इंडिया दुधिया अथवा मिल्की ह्वाइट प्रजाति की मशरूम की खेती कराया जाता तो महिलाएं मशरूम की खेती आज भी करती दिखती। इस संबंध में पूर्व में मशरूम की खेती में नाम कमाने वाली महिला किसान परबलपुर के मिर्जापुर निवासी रिकू कुमारी ने बताया कि विभागीय उदासीनता के कारण मशरूम उत्पादन छोड़ वे मछलीपालन का व्यवसाय करने लगी। इस संबंध में डीएओ से बात करने का प्रयास किया गया तो उनका मोबाइल लगातार व्यस्त बताता रहा।
तालाब में जहर डालने से मछलियां मरीं, लाखों की क्षति
संवाद सूत्र, थरथरी : थाना क्षेत्र के थरथरी पंचायत के लखाचक गांव के पास बुधवार की रात असामाजिक तत्वों ने एक तालाब में जहर डाल दिया। जिससे तालाब में पल रही हजारों मछलियां मर गई। मामले को लेकर मत्स्यपालक सविता देवी ने थरथरी पुलिस को आवेदन में तीन लोगों के खिलाफ नामजद के लिए आवेदन दिया है। थरथरी बाजार निवासी सविता देवी ने बताया कि मछली पालन से ही उनका परिवार पल रहा था। उनके पास मछलियों के एक ही पोखर हैं। जो पांच साल से लीज पर 13 कट्ठा जमीन तालाब के लिए ले रखा है। उसके बाद पैसा जमा कर बुधवार को ही मछली का बीज पोखर में डाला था। बुधवार की रात को कारीब डेढ़ बजे तालाब के पास तीन लोगों को भागते देखा था । थानाध्यक्ष पप्पू कुमार ने बताया कि पीड़ित सविता देवी ने तीन लोगों के खिलाफ आवेदन दिया है । जांच के लिए पुलिस पदाधिकारी को लगाया गया है।

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